नई दिल्ली । कोरोना के मामले देश में कम होने लगे हैं। मामलों को कम होता देख राज्य सरकारें कोरोना संबंधित प्रतिबंधों पर ढील देनी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं, कई राज्यों में तो नर्सरी से 5वीं क्लास के बच्चों के लिए स्कूलों को दोबारा खोलने की घोषणा कर दी गई है। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों की सेहत के प्रति चिंतित होने के साथ काफी डरे हुए भी हैं। अब तक देश में 15 साल से नीचे के बच्चों के लिए कोरोना का टीका उपलब्ध नहीं है।
ऐसे में आप बच्चों को स्कूल भेजते भी हैं और उनमें कोरोना से संबंधित कोई भी हल्के लक्षण नजर आएं, तो नजरअंदाज न करें। बच्चों में कोरोना के लक्षणों को पहचानकर आप उनकी देखभाल यूं करें। यदि आप बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं, तो उन्हें कोविड प्रोटोकॉल के बारे में समझा दें। जिन बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है, उनके लिए कोविड-19 सेफ्टी रूल्स को फॉलो करना जरूरी है, ताकि वे संक्रमित नहीं हों। बाहर की तुलना में क्लासरूम में संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वहां कई बच्चे होते हैं।
ऐसे में मास्क पहने रहना, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखना, खाने-पीने से पहले हाथों को साफ करना, क्लासरूम में सही वेंटिलेशन आदि होना जरूरी है। वयस्कों की तरह बच्चे भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन उनमें अधिक गंभीर रूप से कोरोना होने की आशंका कम होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, बच्चों और किशोरों में कोरोना का संक्रमण कम गंभीर होता है और वयस्कों की तुलना में उनमें मौत भी कम होती है।
इसके साथ ही छोटे बच्चों, स्कूल जाने वालों बच्चों और किशोरों में बड़ों की तुलना में लक्षण भी बहुत हल्के नजर आते हैं। कई रिपोर्ट्स में तो यह भी सामने आया है कि कुछ बच्चों में कोरोना के लक्षण नजर भी नहीं आते हैं, यानी वे एसिम्प्टोमैटिक होते हैं। बहुत कम ही बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है, वह भी उन बच्चों को जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
बच्चों में कोरोनावायरस से संक्रमित होने के 6 दिनों के अंदर लक्षण नजर आ सकते हैं। लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। छोटे बच्चों में नजर आने वाले कोरोना के लक्षण बहुत हल्के होते हैं बच्चों में कोरोना के कुछ लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं, जिन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज करने की गलती ना करें। यदि बच्चे को सांस लेने में परेशानी महसूस हो, सांस तेजी से ले, किसी भी चीज को पीने में दिक्कत महसूस हो, होंठ नीले पड़ जाएं, भ्रम की स्थिति हो, जागने में असमर्थ हो, तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं। सीडीसी के अनुसार, जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ हो, दो साल से कम उम्र के हों, जो गंभीर रोग से ग्रस्त हों, मोटापे का शिकार हों, अस्थमा, फेफड़ों, सांस से संबंधित बीमारी हो, उनमें कोरोना के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं। ऐसे बच्चों में कोरोना से संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है।