नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की 56वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका जीवन देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा। मोदी ने ट्वीट में कहा त्याग और तप की प्रतिमूर्ति महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन।
भारतीय राजनीति की विवादित हस्तियों में शुमार सावरकर पर राजनीतिक दलों से लेकर लोगों की राय भी विभाजित है। रत्नागिरि में पैदा हुए सावरकर की पहचान हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के जनक के रूप में होती है।
हिंदू महासभा में शामिल होकर सावरकर ने 'हिंदुत्व' को लोकप्रिय बनाया। भारत की एक हिंदू राष्ट्र के रूप में परिकल्पना का भी सावरकर ने समर्थन किया।
सावरकर ने 26 फरवरी, 1966 को बॉम्बे (अब मुंबई) में अंतिम सांस ली। सावरकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि अगर सावरकर न होते तो शायद 1857 की लड़ाई को भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम न मिलता। 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने का वादा किया था, जिसको लेकर कांग्रेस ने सवाल भी उठाए थे।
कई मौकों पर सावरकर को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है। वाजपेयी सरकार वीर सावरकर को भारत रत्न देने की कोशिश कर चुकी है। सन 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन के पास प्रस्ताव भेजा था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। 28 मई, 1883 को एक मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मे सावरकर हिंदू राष्ट्र और अखंड भारत के अपने नजरिए के लिए जाने जाते हैं। भारत छोड़ो आंदोलन और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सावरकर हिंदू महासभा के अध्यक्ष थे।
वर्ष 1937 से 1942 तक वीर सावरकर अखिल भारत हिंदू महासभा के 15वें राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। राजनेता और लेखक, सावरकर का नाम भारत छोड़ो आंदोलन का खुलकर विरोध करने के कारण उनके निधन के पांच दशक बाद भी विवाद खड़ा करता है। उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल में सजा काटने के लिए भी जाना जाता है।