पुणे की एक अदालत ने कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में शुक्रवार को 11 साल बाद फैसला सुनाया। 2013 हत्याकांड मामले में कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी ठहराया। शरद कालस्कर और सचिन अंधुरे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
मामले में तीन अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित न होने के कारण कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। वीरेंद्र सिंह तावड़े पर हत्याकांड की साजिश रचने का आरोप था। हालांकि, सरकारी पक्ष की ओर से सबूत पेश न कर पाने के कारण वह बरी हो गया।
महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रमुख नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुणे में दाभोलकर की हत्या के बाद फरवरी 2015 में गोविंद पानसरे और उसी साल अगस्त में कोल्हापुर में एमएम कलबुर्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गौरी लंकेश की सितंबर 2017 में बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।