जम्मू । नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में जब भी चुनाव होंगे, उनकी पार्टी लड़ेगी, लेकिन वह केंद्र शासित प्रदेश में चल रही परिसीमन की प्रक्रिया पर आलोचनात्मक रुख कायम रखेगी। अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की मुख्य धारा की पांच पार्टियों के गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) की अपने आवास पर हुई बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में यह घोषणा की। परिसीमन आयोग की मसौदा रिपोर्ट पर चर्चा के लिए पीएजीडी की बैठक बुलाई गई थी। अब्दुल्ला ने कहा कि हम चुनाव लड़ेंगे।
इसमें कोई शक नहीं है। हम इससे भागेंगे नहीं लेकिन यह (परिसीमन आयोग का मसौदा रिपोर्ट) है जो हमें पीड़ा देता है। उन्होंने अपने आरोप को दोहराया कि यह भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है और इसका लक्ष्य केंद्र द्वारा वर्ष 2019 में अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय करने के फैसले की वैधता को साबित करना है। पीएजीडी की बैठक के बाद गठबंधन के प्रवक्ता एम वाई तारिगमी ने कहा कि वे परिसीमन के खिलाफ नहीं है, क्योंकि यह वर्ष 2026 में होना था लेकिन मौजूदा समय में चल रही प्रकिया ''असंवैधानिक'' है क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत हो रही है जिसे गठबंधन के घटक द्वारा उच्चतम न्यायलय में चुनौती दी गई।
तारिगामी ने अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले का हवाला देते हुए कहा, ''हमारा रुख है कि पांच और छह अगस्त 2019 को संसद में जो भी हुआ था वह अंसवैधानिक है।'' पीएजीडी के अध्यक्ष अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा को उम्मीद है कि वह परिसीमन के बाद विधानसभा की अधिकतर सीटों पर जीत दर्ज करेगी।
अब्दुल्ला ने दावा किया कि वे विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराना चाहते हैं कि जो भी अगस्त 2019 में हुआ वह स्वीकार्य है। मैं आश्वस्त हूं कि इसके बाद उच्चतम न्यायालय जाएंगे और कहेंगे कि यह हो गया है। उन्होंने कहा कि अन्यथा, परिसीमन आयोग की क्या जरूरत थी जब वर्ष 2026 में यह प्रक्रिया पूरे देश में होनी है? जम्मू-कश्मीर को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?