क्या भारतवंशी कमला होंगी अमेरिका की राष्ट्रपति:रेस से निकले बाइडेन ने कमला पर लगाया दांव

Updated on 22-07-2024 01:58 PM

21 जुलाई, भारतीय समयानुसार रात करीब 11 बजे जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से हाथ खींच लिया। उन्होंने 28 जून की प्रेसिडेंशियल डिबेट हारने के करीब एक महीने बाद ये फैसला लिया है। पार्टी लगातार बाइडेन पर दावेदारी वापस लेने के लिए दबाव बना रही थी।

अब अपना नाम वापस लेते हुए बाइडेन ने उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट के तौर पर चुना है। हालांकि, अभी कमला के नाम पर पार्टी की मुहर लगनी बाकी है।

कमला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनी गईं तो वे ट्रम्प को टक्कर देने में कितनी कामयाब होंगी, वे 4 वजहें जो उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी की बेस्ट उम्मीदवार बनाती हैं...

युवा नेतृत्व से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मामलों में महाराथ, ट्रम्प के खिलाफ इन वजहों से बेहतर हैरिस

1. युवा नेतृत्व: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से करीब 20 साल छोटी हैं। अगर वह अपनी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाई जाती हैं तो पार्टी के अंदर वह एक नई पीढ़ी का नेतृत्व करेंगी।

इस तरह अमेरिकी युवाओं में बाइडेन की वजह से जो आकर्षण कम हुआ था, वो लोग हैरिस के नाम पर फिर से डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ेंगे। बीते दिनों में युवाओं के बीच बंदूक, हिंसा, गर्भपात जैसे मुद्दों पर बोलकर हैरिस खूब लोकप्रिय हुई हैं।

भारतीय मूल की कमला हैरिस फिलहाल 59 साल की हैं। वे न सिर्फ बाइडेन, बल्कि उम्र में ट्रम्प से भी उम्र में छोटी हैं। दोनों की उम्र में 19 साल का अंतर है। ऐसे में वो ट्रम्प को ज्यादा मजबूती से टक्कर दे पाएंगी।

2. अंतराष्ट्रीय मामलों को हल करने में माहिर: अमेरिका की राजनीति में देश और विदेश दोनों मामले बेहद अहम होते हैं। कमला हैरिस जो बाइडेन के बाद पार्टी के दूसरे सबसे अनुभवी नेताओं मे से एक हैं। अमेरिका की बड़ी आबादी को लगता है कि वह अंतराष्ट्रीय मामलों में मजबूती से अपनी जिम्मेदारी निभा सकती हैं।

इजराइल या यूक्रेन को लेकर कमला का रुख बाइडेन से ज्यादा स्पष्ट रहा है। वह यहूदी देश इजराइल की कट्टर समर्थक हैं। इंटरनेशनल इश्यू पर स्पष्ट सोच रखने की वजह से वह इजराइल के कट्टर समर्थक अमेरिकी लोगों का वोट अपनी ओर कर सकती हैं।

3. ट्रम्प को उन्हीं के अंदाज में जवाब मिलेगा: अमेरिका में चुनावी बिगुल बजने के बाद से डोनाल्ड ट्रम्प लगातर डेमोक्रेटिक पार्टी के विरोध में बयान दे रहे हैं, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी में सिवाय कमला को छोड़कर ट्रम्प के आरोपों पर कोई नेता साफगोई से नहीं बोल पाता है।

18 जुलाई को उत्तरी कैरोलिना में एक जनसभा के दौरान कमला हैरिस ने ट्रम्प के एजेंडे पर एक-एक कर जोरदार हमला किया।

इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में ये चर्चा तेज हो गई कि डेमोक्रेटिक पार्टी में कमला हैरिस एकलौती ऐसी नेता हैं, जो ट्रम्प को उन्हीं के अंदाज में जवाब दे सकती हैं। कमला को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने पर डेमोक्रेटिक पार्टी को इसका भी लाभ मिल सकता है।

4. बाइडेन की पर्सनालिटी के बजाय ट्रम्प के खिलाफ कैंपेन शुरू होगा: अब तक के चुनाव प्रचार में डोनाल्ड ट्रम्प सीधे जो बाइडेन की पर्सनालिटी को लेकर सवाल करते रहे हैं। वे बाइडेन की उम्र, याद रखने की शक्ति, लड़खड़ाते हुए चलने पर डेमोक्रेट नेता भी बाइडन को लेकर पार्टी में जनमत की मांग कर रहे हैं।

ऐसे में अगर कमला राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाई जाती हैं तो डेमोक्रेट पार्टी की पूरी ताकत ट्रम्प के खिलाफ चुनावी कैंपेन में लगेगा। इससे फिलहाल ट्रम्प की ओर जा रहा एकतरफा लड़ाई दिलचस्प हो जाएगी।

अमेरिका के सुलगते मुद्दों पर कमला हैरिस VS डोनाल्ड ट्रम्प का स्टैंड
गर्भपात: 
अमेरिका में गर्भपात के अधिकार को लेकर लगभग 50 साल से बहस जारी है। जब 1972 में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले में 12 हफ्ते की प्रेगनेंट महिलाओं को गर्भपात की मंजूरी दी थी।
इसके बाद देश दो धड़ों में बंट गया। इसमें एक का मानना है कि गर्भ में बच्चे की जान लेना पाप है, डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी इसका समर्थन करती है।

वहीं, एक दूसरा धड़ा है, जिसका मानना है कि महिलाओं का उनके शरीर पर पूरा अधिकार है। अगर वे बच्चा नहीं चाहतीं तो उन्हें प्रेगनेंसी के शुरुआती 12 हफ्तों में गर्भपात कराने का पूरा हक है। इस धड़े को डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन मिलता है।

मार्च 2024 में कमला हैरिस एक अबॉर्शन क्लिनिक गईं। अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार था जब कोई वाइस प्रेसिडेंट ऑफिशियल दौरे पर किसी गर्भपात सेंटर में पहुंचा हो। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ऐसा कर कमला ने साबित किया कि वे अधिकारों की लड़ाई में अमेरिका की महिलाओं के साथ हैं। चुनाव में ये बात उनके पक्ष में जा सकती है।

गैर कानूनी प्रवासी: 13 जुलाई को जब ट्रम्प पर गोली चली तो वे अपने दाएं हाथ से एक चार्ट की तरफ इशारा कर रहे थे। इसमें उन लोगों की संख्या थी जो डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ता में गैर कानूनी तरीके से अमेरिका आए।

19 जुलाई को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद दिए अपने पहले भाषण में भी ट्रम्प ने गैर कानूनी प्रवासियों का मु्द्दा उठाया। ट्रम्प ने उन्हें एलियन बताते हुए कहा था कि अवैध प्रवासी अमेरिकियों को खा जाएंगे।

अमेरिकी चुनाव से पहले ट्रम्प गैर कानूनी प्रवासियों को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बनाने में कामयाब रहे हैं।

वहीं, कमला की डेमोक्रेटिक पार्टी इस मुद्दे पर बैकफुट पर है। 2020 में ट्रम्प के सत्ता से जाने के बाद अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। मैक्सिको के जरिए अमेरिका पहुंचने वालों में सबसे आगे भारतीय हैं। 2022-2023 के बीच 90 हजार से ज्यादा भारतीय गैर कानूनी तरीके से अमेरिका में घुसते हुए गिरफ्तार हुए हैं, जबकि इनकी संख्या घटाने का जिम्मा बाइडेन ने खुद कमला हैरिस को दिया था।

कमला हैरिस ने 2021 में अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि अवैध प्रवासियों को सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दे के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। उनका फोकस समस्या को जड़ से निपटाने पर होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने पिछले साल 950 मिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा भी की थी।

अर्थव्यवस्था: पहले कोरोना की मार और फिर रूस-यूक्रेन जंग के चलते अमेरिका में महंगाई रिकॉर्ड 8% तक पहुंच गई थी। ट्रम्प का दावा है कि जरूरत का सामान 57% तक महंगा हो चुका है। वे बिना टैक्स बढ़ाए अमेरिका पर कर्ज के बोझ को कम करने का दावा करते हैं।

दरअसल पिछले साल अमेरिका की सरकार दिवालिया हो गई थी। उसके पास लोगों पर खर्च करने के लिए पैसा नहीं बचा था। ट्रम्प हों या बाइडेन अमेरिका सरकार चलाने के लिए कर्ज पर निर्भर है। वहां हर एक व्यक्ति पर 17 लाख रुपए का कर्ज है।

बाइडेन सरकार अमीरों पर टैक्स लगाए जाने की हिमायती है। कमला भी उसका समर्थन करती हैं। उनका फोकस छोटे व्यापारों की फंडिंग और स्टुंडेंट्स के लोन माफ करने पर है। कमला हैरिस रिन्यूएबल एनर्जी के लिए इकोनॉमी को मजबूत करने का दावा करती हैं। जिससे क्लाइमेट चेंज जैसी समस्या से भी निपटा जा सके। जबकि ट्रम्प क्लाइमेट चेंज को मानते ही नहीं हैं।

​​​​रंगभेद: अमेरिका में रंगभेद बड़ी समस्या है। आए दिन ऐसी खबरें सुर्खिया बटोरती हैं जिनमें अश्वेतों के साथ भेदभाव होता है, पुलिस बिना हिचकिचाए उनके खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करती है। 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड के मामले ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।

एक तरफ जहां ट्रम्प ऐसे लोगों की आलोचना करने में हिचकते हैं जो गोरों को ज्यादा बेहतर मानते हैं; वहीं कमला हैरिस उन सांसदों में से एक रही हैं जिन्होंने रंगभेद करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए जस्टिस इन पुलिसिंग एक्ट का समर्थन किया था। हालांकि, ये पास नहीं हो पाया।

कमला खुद अश्वेत हैं। इस वजह से उन्होंने अमेरिका के एशियन और अश्वेत लोगों का समर्थन मिलना आसान होगा।



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