प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच पुतिन के निजी आवास नोवो ओगारियोवो में अनौपचारिक बैठक हुई।
मंगलवार को मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया और 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। 26 घंटे मॉस्को में रहने के बाद PM मोदी ऑस्ट्रिया की यात्रा पर निकल गए।
रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद PM मोदी का यह पहला रूस दौरा था, जिस पर पूरी दुनिया की नजर थी। पश्चिमी मीडिया भी PM मोदी के इस दौरे पर नजर बनाए हुए था। NYT, द गार्जियन, BBC, VOA और ग्लोबल टाइम्स ने इसे प्रमुखता से कवर किया।
NYT ने लिखा- पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश कमजोर हुई
अमेरिकी अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने लिखा है कि PM मोदी की मॉस्को यात्रा से पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश कमजोर हुई है। वहीं, इससे यूक्रेन की नाराजगी बढ़ गई है। NYT लिखता है कि भारतीय प्रधानमंत्री की ये यात्रा वास्तविक सच्चाई को दिखाती है।
भले ही पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने की कोशिश में जुटे हैं, मगर जिस तरह से रूस, अन्य देशों से अपने संबंध बना रहा है इससे उसकी अर्थव्यवस्था और मजबूत ही हुई है। भारत ने रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल खरीदा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे रूस की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है।
अखबार ने आगे लिखा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के लिए PM मोदी का ये दौरा यह दिखाने का तरीका है कि अमेरिका से भारत के मजबूत होते रिश्तों के बावजूद रूस और भारत के बीच गहरा रिश्ता बरकरार है।
BBC हिंदी ने लिखा- मॉस्को में मोदी ने संतुलन बनाए रखा
BBC लिखता है कि तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद मोदी की ये पहली द्विपक्षीय यात्रा है। मॉस्को से आई तस्वीरों में मोदी, पुतिन को गले लगाते हुए दिख रहे हैं। भारत में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुतिन मुस्कुराते हुए मोदी को 'सबसे प्यारा दोस्त बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उनसे मिलकर बहुत खुशी हुई।'
BBC लिखता है कि NATO देश जहां यूक्रेन पर मॉस्को की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं, वहीं मोदी ने आज तक पुतिन की साफ शब्दों में आलोचना तक नहीं की है। पश्चिमी देश रूस को अलग-अलग प्रतिबंध लगाकर उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, मगर पुतिन, भारत-चीन जैसे देशों के नेताओं के साथ संबंध मजबूत करने में जुटे हैं। BBC आगे लिखता है कि अब ये चर्चा शुरू हो गई कि क्या मोदी की मौजूदगी पुतिन के लिए फायदे का सौदा हो सकती है?
VOA ने लिखा- रूस और भारत दोनों के लिए ये दौरा अहम
वॉयस ऑफ अमेरिका (VOA) ने कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडो पैसिफिक स्टडीज के संस्थापक चिंतामणि महापात्रा के हवाले से लिखा है कि मोदी इस यात्रा के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत-रूस संबंध महत्वपूर्ण हैं और रूस-चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों का उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इसके अलावा ये दौरा पुतिन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए वो पश्चिम को संदेश दे रहे हैं कि उनके लगाए प्रतिबंधों का रूस पर कोई असर नहीं पड़ा है। कुछ विश्लेषकों ने मोदी और पुतिन की बैठक की टाइमिंग पर भी विशेष ध्यान दिलाया है। ये ऐसे वक्त में हो रही है जब वॉशिंगटन में NATO शिखर सम्मेलन चल रहा है।
द गार्जियन ने लिखा- पुतिन पर मोदी की सलाह का कोई असर नहीं पड़ेगा
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में हना पीटरसन ने लिखा है कि यूक्रेन संकट के बावजूद मोदी और पुतिन ने अपनी दोस्ती के रिश्ते को और मजबूत किया है। पुतिन ने मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि वे उन्हें देखकर बहुत खुश हैं।
सोमवार रात हुई बातचीत में PM मोदी ने पुतिन को सलाह दी कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता है, लेकिन फिर भी पुतिन की महत्वाकांक्षा पर मोदी के शब्दों का कोई असर होगा, ऐसा नहीं लगता।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- भारत के कदम से पश्चिमी देश निराश
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है- पश्चिमी देश, भारत के रूस के साथ गहरे होते संबंधों को लेकर अधिक चिंतित दिख रहे हैं। अखबार में सिचुआन इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लॉन्ग जिंगचुन ने लिखा है कि चीन, रूस-भारत के करीबी संबंधों को खतरे के रूप में नहीं देखता है, जबकि पश्चिमी देश रूस के साथ भारत के संबंधों से नाराज दिखाई देते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है कि पश्चिमी देशों ने भारत को पश्चिमी खेमे में खींचने और चीन के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश की है। उन्हें उम्मीद थी कि भारत, रूस के खिलाफ खड़ा होगा और उनके साथ गठबंधन करेगा, लेकिन भारत का कदम उन्हें निराश कर रहा है।
द वॉशिंगटन पोस्ट- मोदी की ये यात्रा बताती है कि भारत, पश्चिम के पाले में नहीं गया
अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने PM मोदी के मॉस्को दौरे पर लिखा है कि यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद ये यात्रा साफ संकेत देती है कि अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत, रूस के साथ अपने मजबूत संबंध बरकरार रखेगा।
मोदी ने तीसरी बार सत्ता में आने के एक महीने से भी कम समय में रूस का दौरा किया है। दरअसल, इसके जरिए वो पुतिन को दिखाना चाहते हैं कि भले ही भारत-अमेरिका का रिश्ता काफी आगे बढ़ चुका है, मगर भारत अभी तक पश्चिमी देशों के पाले में गया नहीं है।