राजधानी में जरूरत के मुकाबले सिर्फ 43 प्रतिशत सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल्स यानी सुविधाघर हैं। ऐसे में लोगों को विशेष तौर पर महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अभी शहर में सार्वजनिक शौचालय, सामुदायिक शौचालय और यूरिनल्स की संख्या 218 है। जबकि, 150 यूरिनल और 140 सार्वजनिक शौचालय (कुल 290) की अभी और जरूरत है।
यही वजह है कि अब भी शहर में लोगों को सार्वजनिक शौचालय के लिए 3-5 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है। लेकिन, नगर निगम के जिम्मेदार गंभीर नहीं हैं। यही वजह है कि शहर में बनाए जाने वाले 290 सार्वजनिक सुविधाघरों की फाइल चार महीने से कछुए की चाल चल रही है। इनका निर्माण शुरू होने में अभी दो से तीन महीने और लगने का अनुमान है। यही नहीं निर्माण शुरू होने के बाद इनको पूरा बनने में कम से कम 6 महीने का समय लगेगा।
कोलार सिक्सलेन: 5 किमी हिस्से में शौचालय नहीं
केस-1
शाहपुरा सी सेक्टर से विराशा हाइट होते हुए कोलार सिक्सलेन तक करीब 5 किलोमीटर के इस हिस्से में कोई भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। जबकि, हिस्से में बाजार समेत कई संस्थान आदि होने के कारण लोगों का आवागमन बहुत है।
केस-2
त्रिलंगा में सेवाय कॉम्प्लेक्स से बावड़िया कला होते हुए सलैया मार्केट तक की दूरी 3.5 किलोमीटर से भी अधिक है। इस सड़क के दोनों और व्यस्त बाजार और घनी आबादी है। बावजूद इसके इस पूरे रास्ते पर एक भी सार्वजनिक सुविधाघर नहीं है।
सुविधा के विस्तार में रुचि नहीं... नगर निगम ने 140 शौचालय और 150 यूरिनल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 23 करोड़ का बजट मांगा था। राज्य सरकार के माध्यम से यह पैसा नगर निगम को मिल भी गया है। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। लेकिन, अब तक निर्माण के लिए स्थान ही निर्धारित नहीं हो पाए हैं। बावजूद जिम्मेदार दावा कर रहे हैं कि छह महीने में निर्माण पूरा हो जाएगा।
इंदौर में तो यूरिनल में भी केयरटेकर
आपको हैरानी होगी कि करीब 30 लाख आबादी वाले शहर में सिर्फ 13 यूरिनल हैं। सामुदायिक शौचालय 62 और सार्वजनिक शौचालय की संख्या 143 है। जबकि, इंदौर में यूरिनल की संख्या 140, सामुदायिक शौचालय 78 और सार्वजनिक शौचालय 243 हैं।
इंदौर ने शहर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 2021 से 2023 तक हर साल नए यूरिनल का निर्माण कराकर इस जरूरत को पूरा किया है। वहां यूरिनल के लिए भी केयर टेकर की व्यवस्था की गई है। ऐसे में साफ–सफाई रहती है। भोपाल में केयर टेकर न होने से यूरिनल गंदे रहते हैं और बदबू आती है।
यह है सुविधाओं की हकीकत... 1. नगर निगम की ओर से शहर में 100 से ज्यादा स्थानों पर अस्थायी शौचालय की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान में इनका कबाड़ भी नहीं बचा है। 2. निगम ने तीन स्थानों पर 60 लाख खर्च करके बायो टॉयलेट लगाए थे। आज यही दुर्दशा का शिकार होकर गंदगी की वजह बन रहे हैं। 3. महिलाओं के लिए 3 शी लाउंज बनाए थे। अब यहां फोटोकॉपी और स्टेशनरी दुकानें खुल गई हैं।
टेंडर हो गया, जल्द निर्माण शुरू कराएंगे शहर में 140 सार्वजनिक शौचालय और 150 यूरिनल बनाए जा रहे हैं। इनके लिए टेंडर जारी हो गया है। जल्द निर्माण शुरू किया जाएगा। ताकि, लोगों को और बेहतर सुविधा मिल सके। -देवेंद्र सिंह चौहान, अपर आयुक्त, नगर निगम