रोजाना बादाम खाने से डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है: अध्ययन

Updated on 18-02-2023 05:38 AM
भोपाल : नई स्टडी में यह पता चला है कि 12 हफ्तों तक रोजाना बादाम खाने से इंसुलिन के रेजिस्टेंस में कमी आई पैनक्रियाज की कार्यप्रणाली में सुधार देखने को मिला और ब्लड ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिली बादाम खाने वाले लोगों के शारीरिक वजन और बॉडी मास इंडेक्स में कमी देखी गई। उन्हें अपनी कमर के घेरे को भी कम करने में मदद मिली। यही नहीं इससे उनके कुल कोलेस्ट्रोल में काफी कमी हुई शरीर के बहुत ज्यादा वजन और डायबिटीज की चुनौतियों से जूझते दुनिया में बहुत से लोगों को देखा जा सकता है अक्सर ये दोनों स्थितियां साथ-साथ चलती हैं।स्टडी के अनुसार इस तरह की दोनों स्थितियों को दूर रखने के लिए हमें अपने रोजाना के आहार में बादाम को शामिल करना चाहिए। इससे व्यक्ति की सेहत में काफी सुधार हो सकता है इस स्टडी का नेतृत्व भारत के चेन्नई में स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन में अध्यक्ष और डायबिटिक रिसर्च के प्रमुख और एमडी, पीएचडी, डीएससी विशिवनाथन आनंद ने किया। इस अध्ययन में अन्य सहयोगियों के साथ मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की उपाध्यक्ष और एमडी पीएचडी, आर. एम. अंजना, पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में पोषण और जनस्वास्थ्य विभाग के प्रतिष्ठित प्रोफेसर पीएचडी, एमपीएच, आरडी, रिचर्ड मैट्स, यूनिवर्सिटेट रोविरा आई वर्जिली में पोषण और ब्रोमैटोलॉजी (खाद्य विज्ञान) के प्रोफेसर, एमडी पीएचडी जोर्डी सालास तथा हार्वर्ड यूनिवर्टी में महामारी विज्ञान और पोषण विभाग के प्रोफेसर और एमडी, जीआरपीएच वॉल्टर विलेट शामिल थे। 
डॉ. मोहन ने कहा, “बादाम खाने वाले लोगों के शारीरिक वजन और ब्लडशुगर में काफी सुधार हुआ। मोटापे की समस्या को दुनिया भर में हर जगह देखा जाता है। मोटापा टाइप टु डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारियों को बढ़ाता है। हम सभी जानते हैं कि यह एक जटिल समस्या है, जो डायबिटीज से पूरी तरह जुड़ी हुई है। हम समझते हैं कि हमने इस समस्या के आसान समाधान की खोज कर ली है। हमने लोगों को दूसरे स्नैक्स की जगह बादाम खाने का सलाह दी है। इससे उन्हें अपने वजन को कंट्रोल में रखने की इजाजत मिलती है और डायबिटीज के बोझ में कमी आई है।”  
मद्रास यूनिवर्सिटी में पीएचडी होल्डर ओर स्टडी पेपर के पहले लेखक गायत्री राजगोपाल भी स्टडी में पैनक्रियाज की सेहत में काफी सुधार से काफी उत्साहित नजर आई। गायत्री ने कहा बादाम खाने वाले लोगों की बीटा सेल्स की कार्यप्रणाली में सुधार देखा गया। इसके साथ ही पैनक्रियाज की उन कोशिकाओं में भी काफी सुधार आया, जो इंसुलिन बनाती है। प्री-डायबिटीज की स्थिति में पहुंच चुके लोगों के लिए बादाम काफी ठोस आहार है। डायबिटीज के रोग को पनपने में देरी के लिए रोजाना बादाम खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा हम यह जानते हैं कि बादाम खाने से तृप्ति का अहसास होता है और टाइप 2 डायबिटीज के शिकार लोगों के लिए यह एक स्वस्थ नाश्ता है।”
शोधकर्ताओं ने यह आकलन किया कि चेन्नई में रहने वाले एशियाई भारतीय लोगों के 12 हफ्ते तक रोजाना 43 ग्राम (1.5 औंस) कच्चे बादाम खाने के नतीजे के रूप में उनके शरीर पर इंसुलिन की संवेदनशीलता, इंसुलिन की प्रतिरोधक शक्ति और सीरम लिपिड मार्कर्स पर प्रभाव देखा गया। शोधकर्ताओं ने बादाम से दिल को होने वाले फायदों पर गौर किया। इस रिसर्च में शामिल बादाम खाने वाले लोगों के समूह में कोलेस्ट्रोल का टोटल लेवल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बेहतर देखा गया। यह दोनों कारक मोटापे और डायबिटीज को मैनेज करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। बादाम जैसे ड्राईफूट्स स्वस्थ आहार का अंग है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम होना काफी कम होता है।
डॉ. अंजना ने कहा, “हमारी टीम मरीजों को अपने आहार में कई स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ, विशेषकर पौधों से प्राप्त होने वाले आहार को शामिल करने और तला-भुना कम खाने की सलाह देती है। प्रति औंस (28 ग्राम) बादाम में 6 ग्राम पौधे से प्राप्त प्रोटीन होता है। स्टडी के अनुसार बादाम को सेहत को लाभ पहुंचाने वाले फैटी एसिड के प्रोफाइल और उच्च विटामिन ई का कंटेंट होता है, इसमें कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं, शरीर का वजन कम होता है, पैनक्रियाज की प्रतिरोधक शक्ति में कमी आती है, शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बेहतर रहता है। स्टडी से यह पता चलता है कि बादाम दिल की सेहत और पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने के लिए वरदान हैं।      


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