भारत और बांग्‍लादेश रिश्‍तों में रार की वजह बनी बंगालियों की पसंदीदा हिल्‍सा मछली, 'फिश डिप्लोमेसी' को झटका, जानें वजह

Updated on 11-09-2024 04:58 PM
ढाका: पश्चिम बंगाल में इस समय लोगों को हिल्सा मछली की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसे यहां काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। खासतौर से सितंबर और अक्टबूर में दुर्गा पूजा के दौरान हिल्सा की मांग काफी बढ़ जाती है। इस साल पश्चिम बंगाल में इसकी कमी हुई है क्योंकि दुनिया में मछली के सबसे बड़े उत्पादक बांग्लादेश ने भारत में हिल्सा का आना एकदम रोक दिया है। बांग्लादेश में बीते महीने बनी अतंरिम सरकार में मत्स्य पालन विभाग की सलाहकार फरीदा अख्तर का कहना है कि वह बांग्लादेश के लोगों के लिए इस मछली की सुलभता सुनिश्चित कर रही हैं। उनका कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद हिल्सा बांग्लादेश से भारत जाती रही है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, फरीदा का कहना है कि हिल्सा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है लेकिन यह इतनी महंगी है कि गरीब लोग इसे नहीं खरीद सकते। इसकी वजह इसका दूसरे देशों में जाना है। पिछली सरकार दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मछली से बैन हटा देती थी। इस बार सरकार ऐसा नहीं करेगी। फरीदा अख्तर का यह रुख पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत के साथ 'हिल्सा डिप्लोमेसी' से पूरी तरह से अलग है। हसीना सरकार 'हिल्सा डिप्लोमेसी' के तहत त्योहारी सीजन के दौरान मछली की खेप को भारत ले जाने की अनुमति देती रही थी। शेख हसीना ने कई मौकों पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हिल्सा उपहार के तौर पर भेजीं। 2017 में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी हसीना ने 30 किलोग्राम हिल्सा उपहार में दी थी। कह सकते हैं कि हिल्सा को शेख हसीना भारत और खासतौर से पश्चिम बंगाल के नेताओं के साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए इस्तेमाल करती रही थीं।

हसीना के बाद बदली बांग्लादेश की नीति!


लंबे समय तक बांग्लादेश पर शासन करने वाली शेख हसीना 5 अगस्त को नाटकीय ढंग से सत्ता से बेदखल कर दी गईं। हसीना ने भारत में ही शरण ली हुई है। इससे ढाका में बनी नई अंतरिम सरकार के साथ संबंध मजबूत करने में भारत को दिक्कत हो रही है। बांग्लादेश की सरकार ने लगातार भारत के प्रति रुख सख्त करने के संदेश दिए हैं। हिल्सा की आपूर्ति रोकना भी इसी का एक हिस्सा है। वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी नृपेंद्र नाथ बिस्वास ने बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार को बताया कि पिछले वर्षों में सरकार ने दुर्गा पूजा के दौरान सालाना 3,000-5,000 टन हिल्सा के निर्यात की अनुमति दी थी। देश में मछली की कमी को देखते हुए सरकार ने इस साल हिल्सा निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

बंगाली समाज में (भारत और बांग्लादेश दोनों) हिल्सा मछली की बहुत अहमियत है, इसे पवित्र माना जाता है। ऐसे में दुर्गा पूजा के दौरान इसकी कमी कई लोगों को निराश करेगी। इस मछली को बंगाल में कई तरीकों से पकाया जाता है। इसे सरसों के पेस्ट के साथ भाप में पकाया जाना भी मशहूर है। दरअसल बांग्लादेश हिल्सा (तेनुलोसा इलिशा) का प्रमुख उत्पादक है, जो हेरिंग से संबंधित मछली की एक प्रकार की प्रजाति है। ये बंगाल की खाड़ी में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है और नदियों में भी पनपती है।

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