ओट्टावा: कनाडा में अध्ययन की चाहत रखने वाले भारतीयों के लिए अब काफी मुश्किल होने वाली है। उत्तर अमेरिकी देश में इस साल स्टडी परमिट की मंजूरी में 50 फीसदी की गिरावट आने की उम्मीद है। जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार देश में अप्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए कठोर रुख अपना रही है। इसके तरहत वीजा मंजूरी को एक बार फिर 2018 और 2019 के स्तर पर वापस आने का अनुमान है। कनाडाई मीडिया आउटलेट द ग्लोब एंड मेल ने मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में इसके बारे में जानकारी दी है। इस जानकारी के लिए अप्लाईबोर्ड के आंकड़ों का हवाला दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की पहली छमाही में भारत से अध्ययन परमिट की मंजूरी आधी हो गई। यब बताने के लिए काफी है कि बाकी का साल कैसा रहेगा। अप्लाईबोर्ड एक कंपनी है जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से जोड़ती है। इसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 के अंत तक दिए जाने वाले स्टडी परमिट की संख्या 231,000 से थोड़ी ज्यादा होगी, जो 2023 में मंजूर किए गए 436,000 की संख्या से काफी कम है।
स्टडी परमिट के आवेदन में भी कमी
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2023 की तुलना में 2024 में कनाडा में स्टडी परमिट के लिए वैश्विक आवेदनों में 39 प्रतिशत की गिरावट आएगी। साल 2022 में कनाडा में कुल 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र थे, जिनमें 2.26 लाख भारतीय थे। उसी दौरान 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर रहते हुए गिग वर्कर के रूप में कनाडा की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे थे।
कनाडा से हो रहा मोहभंग
अप्लाईबोर्ड के सीईओ और सह संस्थापक मेटी बसीरी ने बताया कि दूसरे देशों से आने वाले अप्रवासियों के लिए लिए खर्च को बढ़ाने वाले कनाडाई सरकार के फैसले और सख्त आव्रजन (इमिग्रेशन) नीतियों ने कई संभावित छात्रों को हतोत्साहित किया है। बसीरी का हवाला देते हुए ग्लोब एंड मेल ने कहा, हाल के महीनों में कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पहले की तरह स्वागत नहीं देखा गया है। उन्होंने कहा कि छात्र अब अपने आवेदन स्थगित करने के साथ ही अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे स्थानों का विकल्प चुन रहे हैं।