आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर भोपाल के अपना घर वृद्ध आश्रम की बुजुर्ग महिलाओं ने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जो शायद ही कभी भुलाई जा सके। इन वृद्ध महिलाओं ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में खड़े होकर यह ऐलान किया कि वे न केवल जीते जी समाज को प्रेरणा देंगी, बल्कि मरने के बाद भी अपने शरीर के जरिए किसी की जिंदगी को रोशन करेंगी।
दरअसल, इन 15 बुजुर्ग महिलाओं ने देहदान का फैसला लिया है। इनकी उम्र 60 से 95 साल के बीच है। इस फैसले के पीछे उनके जीवन के कड़वे अनुभव हैं।
ऐसे आया आइडिया आश्रम की संचालिका माधुरी मिश्रा ने बताया बताया कि कई बार बुजुर्गों की मौत के बाद उनके शव दो से तीन दिन तक पड़े रहते हैं, क्योंकि उनके बच्चे या परिवार वाले उन्हें लेने नहीं आते। यह दृश्य देखकर आश्रम की साधना दादी के मन में यह विचार आया कि अगर उनके अपने ही उनके साथ नहीं हैं, तो क्यों न उनका शरीर समाज के काम आए।
माधुरी मिश्रा ने बताया कि हमारे 80 साल के माता-पिता इस सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि वे समाज को कुछ दे जाएं। यह बहुत बड़ी बात है। अगर मेरे माता-पिता जाते-जाते भी समाज को कुछ दे जाएं, तो यह अमूल्य है। मैं खुद भी देहदान करने के लिए तैयार हूं।
इस पहल की वजह बने यह दो केस