जेल में घुसकर हत्यारे को मारी थी गोली:18 साल पहले इंदौर में रिवॉल्वर गार्ड रूम तक लेकर पहुंचे थे बदमाश

Updated on 03-06-2025 12:57 PM

मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात इंदौर जेल में हुए चर्चित हत्याकांड की। 18 साल पहले दिन दहाड़े जेल में खूनी वारदात हुई। बदमाशों ने ट्रेड यूनियन नेता विष्णु उस्ताद की हत्या के आरोप में बंद कैदी जीतू ठाकुर उर्फ जितेंद्र सिंह पिता माधव सिंह उम्र 35 साल निवासी नंदानगर, इंदौर को गोली मारकर मौत के घाट उतारा और फरार हो गए।

हत्या गैंगवार में हुई थी। जिसकी हत्या की गई, वो 6 महीने बाद जेल से रिहा होने वाला था। आखिर जेल में बंद कैदी से किसी को क्या खतरा था, क्या ये विष्णु उस्ताद के मर्डर के बदले में की गई हत्या थी या जेल में ही उसका कोई दुश्मन पैदा हो गया था? पुलिस के पास ऐसे कई सवाल थे, जिनके जवाब तलाशने थे।

तीन साल से जेल में था जीतू ठाकुर तारीख 23 जून 2007। समय सुबह के 10 बजे। इंदौर के पास उपजेल महू में गेट के अंदर बंदी अशोक मराठा से मुलाकात के लिए विजय नागर नाम का व्यक्ति आता है। जेल में एक अन्य कैदी जीतू ठाकुर भी पिछले 3 साल से बंद था। आमतौर पर वो पूरे दिन गार्ड रूम में रहता था।

कैदी अशोक मराठा से मिलने के दौरान ही जीतू ठाकुर से कुछ लोग मुलाकात कर रहे थे। जिन्हें प्रहरी कैलाश और हरिप्रसाद ने अंदर लिया था। अशोक मराठा से मिलने आए विजय नागर को मुलाकात के बाद बाहर करने के लिए गेट तक लाया गया। उसे गेट से बाहर भी कर दिया गया। थोड़ी देर बाद कैदी सुरेश से मिलने उसका लड़का गेट पर आया। प्रहरी हरिप्रसाद ने गेट खोला तो उसी समय विजय नागर और उसके साथ 3 व्यक्ति अंदर घुस आए।

गार्डरूम में घुसकर मारी गोली विजय नागर और अशोक ने रिवॉल्वर निकाल ली और गार्डरूम में गोलियां चलाने लगे। उन्होंने प्रहरी हरिप्रसाद को गोली मारी, जो दाहिनी तरफ पसली में लगी। वे गार्ड रूम में अंदर घुसे और वहां गोलियां चलाकर जीतू ठाकुर से मुलाकात करने आए राजेश और अजय को घायल कर दिया। जीतू ठाकुर पर भी गोली चलाई।

चार लोग घायल हुए, जीतू की मौत हो गई जेल उप अधीक्षक राजकुमार त्रिपाठी को फोन आया कि जेल में गोलीकांड हुआ है। वे तत्काल जेल पहुंचे। देखा कि जेल प्रहरी हरिप्रसाद शर्मा, कैदी जीतू ठाकुर और दो अन्य लोग घायल पड़े हैं। घायलों को शासकीय वाहन से मध्य भारत अस्पताल पहुंचाया गया। वहां से इंदौर के एमवाय अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां डॉक्टरों ने जीतू ठाकुर को मृत घोषित कर दिया।

महू उपजेल में पदस्थ प्रहरी शैलेंद्र सिंह द्वारा थाना किशनगंज में एफआईआर दर्ज कराई गई। जिसमें उसने पुलिस को बताया कि सुबह 6 से 10 बजे तक प्रहरी कैलाश गिरवाल ड्यूटी पर था। इस बाद कैलाश से उसने चार्ज लिया था। वरिष्ठ प्रहरी हरिप्रसाद शर्मा भी जेल के गेट पर उपस्थित थे। तभी ये वारदात हुई।

जेलर छुट्टी पर, बिना जांच के रिवॉल्वर अंदर तक पहुंची किशनगंज थाना पुलिस ने आरोपी विजय नागर, अशोक मराठा और उनके साथियों के खिलाफ धारा 307, 353, 332, 452, 336, 224, 225, 34 में केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।

इंदौर के एमवाय अस्पताल में डॉ. एनएम हुण्डा ने 23 जून 2007 को जीतू के शव का पोस्टमॉर्टम किया। जीतू की हाइट 5 फीट 3 इंच थी। उसे गोली सीने के दाहिनी तरफ एड़ी से 52 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर लगी थी। गोली फेफड़े को फाड़ते हुए अंदर तक गई थी। एक गोली सिर में लगी थी।

जेल में हत्या वाले दिन जेलर छुट्‌टी पर थे। उन्होंने कई दिन पहले ही छुट्‌टी का आवेदन दे दिया था। बदमाशों का जेल में घुसना और बिना किसी जांच के रिवॉल्वर लेकर बैरक तक पहुंचना चौंकाने वाला मामला था। हत्याकांड के पीछे बने इन सभी संयोग को पुलिस अलग-अलग स्तर पर जांचने में जुटी थी। कोशिश की जा रही थी कि जल्द से जल्द मर्डर की गुत्थी को सुलझा लिया जाए।

ऑपरेशन के बाद निकाली गोली हमले में घायल जेल प्रहरी हरिप्रसाद को एमवाय अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती किया गया। वे 23 जून 2007 से लेकर 1 जुलाई 2007 तक भर्ती रहे। गोली लगने से उनके फेफड़े में छेद हो गया था, इसलिए ऑपरेशन कर छाती में नली डाली गई और ऑपरेशन के बाद गोली निकाली गई।

हरिप्रसाद को शरीर में जानलेवा चोट लगी थी। वहीं, अन्य घायल अजय भी घटना के बाद से 1 जुलाई तक भर्ती रहा। उसके सीने के बायीं ओर मांसपेशियों के अंदर एक गोली पाई गई, जिसे एनेस्थीसिया देकर निकाला गया।

राऊ चौराहे पर मिली लावारिस कार जांच अधिकारी दामोदर अस्पताल में थे। तभी उन्हें वायरलेस से सूचना मिली कि अल्फा लेबोरेट्री के सामने राऊ चौराहे के पास एक कार लावारिस हालत में खड़ी है। दोपहर करीब 12.20 बजे मौके पर पहुंचकर देखा तो कार के अंदर एक प्लास्टिक की पन्नी में पिसी मिर्च, एक काले रंग की पैंट, एक टी-शर्ट, एक टोल पर्ची, एक मैगजीन, एक जिंदा कारतूस मौजूद था।

कार के बारे में पुलिस ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि कार को राहुल ने साजिद के यहां बिक्री के लिए खड़ा किया था। जिसका सौदा 33 हजार 786 रुपए में तय हुआ था।

बैलेस्टिक रिपोर्ट से खुलासा- गोली किस पिस्टल से चली पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी हुई थी। जांच में पता चला कि आरोपी विजय नागर जो जेल में दाखिल हुआ था, असल में उसका नाम करण नागर था। इसी तरह आरोपी नवल का नाम यशवंत निकला। आखिरकार पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस को बैलिस्टिक रिपोर्ट से पता चला कि जीतू ठाकुर को लगी गोली आरोपी विक्की उर्फ विनोद से जब्त पिस्टल से चली थी। जेल प्रहरी हरिप्रसाद को लगी गोली आरोपी अशोक मराठा से जब्त पिस्टल से चली थी। हालांकि, हरिप्रसाद ने अपनी चोट के बारे में किसी आरोपी के खिलाफ बयान नहीं दिए।

आखिर कौन था मरने वाला जीतू ठाकुर इंदौर में जीतू ठाकुर फल बेचता था। वह लड़ाई-झगड़े जैसे छोटे-मोटे अपराधों में भी शामिल रहता था। एक मामले में जेल गया जीतू जब बाहर आया तो ट्रेड यूनियन लीडर विष्णु उस्ताद के साथ काम करने लगा। जीतू कुछ ही समय में उस्ताद की टीम का खास गुर्गा बन गया। 2000 के दशक में विष्णु उस्ताद शहर के बड़े कर्मचारी नेता और पहलवान थे। वे मजदूरों के मसीहा कहे जाते थे।

परिवार में बेटा युवराज, अजय और एक बेटी थे। जीतू करीब दस साल तक उस्ताद की टीम में रहा। बाद में मनमुटाव के कारण वो अलग हो गया। उसने सतीश भाऊ के गैंग से हाथ मिला लिया। जीतू को डर था कि उस्ताद कहीं उसकी हत्या न करवा दे।

विष्णु उस्ताद पर 12 बदमाशों ने किया था हमला 12 फरवरी 2002 की शाम करीब 7:30 बजे रामनगर में समाज की मीटिंग में शामिल होने के लिए विष्णु उस्ताद अपने साथियों के साथ पहुंचे। मीटिंग खत्म होने के बाद वापस बाइक से लौट रहे थे। इसी दौरान अनूप टॉकीज के पास एक वैन ने टक्कर मारी, जिससे विष्णु उस्ताद नीचे गिर गए। तभी 12 बदमाशों ने उन पर लगातार चाकू से वार किए। परिजन विष्णु उस्ताद को अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

मामला कोर्ट पहुंचा और जीतू ठाकुर को जेल हो गई। 6 महीने बाद जीतू जेल से छूटने वाला था लेकिन उसके पहले ही उसकी हत्या कर दी गई।



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