भोपाल : भारत सरकार ने 2047 में एनीमिया मुक्त भारत की परिकल्पना में सभी चिकित्सकों एवं समाज सेवी संस्थानों तथा जनता को मिलकर सहयोग करना होगा
सिकल सेल की बीमारी अतयंत गंभीर, असाध्य एवं *पीढ़ी दर पीढ़ी* चलने वाली बीमारी है इसके लिए जागरूकता के *साथ -साथ* शादी पूर्व रक्त जाँच जब तक अनिवार्य नहीं होगा तब तक बीमारी को अगली पीढ़ी में जाने से रोका जाना असंभव होगा यह बात केंद्रीय होम्योपैथी अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के वौज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ एके द्विवेदी ने कही, आपने यह भी कहा कि सिकल सेल का इलाज किसी भी चिकित्सा पद्धवती द्वारा अभी तक संभव नहीं हो सका है लेकिन *होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा सिकल सेल की बीमारी से पीड़ित मरीजों के दुःख दर्द एवं असहनीय पीड़ा को कम किया जा रहा है*
साथ ही ऐसे मरीज जिन्हे बार बार रक्त चढ़ाना पड़ता था उन्हें डॉ द्विवेदी की एडवांस्ड होम्योपैथी चिकित्सा ५० मिलिसिमल पोटेंसी की देने से अब रक्त चढ़ाने की जरुरत नहीं पड़ रही है
उल्लेखनीय है कि डॉ एके द्विवेदी के पास पूरे देश से अप्लास्टिक एनीमिया के मरीज आते हैं जिनका हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स काफ़ी कम रहने के कारण उन्हें पूर्व में बार बार, जल्दी जल्दी रक्त चढ़ाना पड़ता था और जिन्हे इलाज स्वरुप केवल बोन मेरो ट्रांसप्लांट बताया गया था ऐसे कई मरीज डॉ द्विवेदी की एडवांस्ड होम्योपैथी चिकित्सा ५० मिलिसिमल पोटेंसी की दवा से के सेवन से अब पूरी तरह ठीक हो गए हैं और अपना जीवन बिना किसी परेशानी के ब्यतीत कर रहें हैं
डॉ द्विवेदी होम्योपैथी चिकित्सा के साथ साथ समाज में एनीमिया के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के हर संभव प्रयास करते रहते हैं इस कार्य में उन्हें इंदौर सांसद श्री शंकर लालवानी जी का एवं अन्य कई सामाजिक संस्थाओं के सहयोग समय समय पर प्राप्त होते रहते हैं डॉ एके द्विवेदी बतौर कार्यपरिषद सदस्य देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा झाबुआ में सिकल सेल एनीमिया बीमारी के लिए सेण्टर फॉर एक्सीलेंस भी बनाने के लिए प्रयासरत हैं
डॉ द्विवेदी बताते हैं कि मध्य प्रदेश के राजयपाल श्री मंगुभाई पटेल से सिकल सेल की बीमारी पर कार्य करने प्रेरणा मिलती रहती है
जनवरी 2023 में इंदौर आगमन के दौरान, देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने भी सिकल सेल की बीमारी पर होम्योपैथी चिकित्सा के प्रभाव को लेकर डॉ एके द्विवेदी से मुलाकात हो चुकी है