ईओडब्ल्यू इंदौर ने चार जनवरी 2022 को इस मामले में डा. प्रकाश तारे का बयान भी ले लिया, पर एफआइआर अभी तक नहीं की। तारे ने मुख्यमंत्री से भी इसकी शिकायत की है और सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की।
दरअसल, सबसे पहले विधायक रहते हुए विश्वास सारंग ने यह मामला विधानसभा में उठाया था, तब विधानसभा की संदर्भ समिति को यह मामला जांच के लिए सौंपा गया था। जैसे ही वर्ष 2016 में सारंग मंत्री बने तो नियमों का हवाला देकर दागी प्रमुख सचिव ने यह जांच ही बंद करवा दी थी।
इधर, राज्य सरकार ने दागी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच करने के निर्देश भी दिए लेकिन उसका भी पालन नहीं हुआ।
शिकायत के अनुसार देवास, भोपाल और ग्वालियर चिकित्सालयों के लिए बाजार से महंगे दाम में उपकरणों की खरीदी की गई थी। उप संचालक वीके शारदा ने फैक्स के माध्यम से उपकरणों की सूची अस्पतालों से मांगी थी। यह खरीदी संचालनालय में पदस्थ लेखाधिकारी की अनुशंसा के बिना की गई थी। इसके अलावा खरीदी में अन्य अनियमितताएं भी हुई थीं।
डा. तारे ने इसकी शिकायत श्रम मंत्री से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से भी की थी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ईओडब्ल्यू इंदौर ने चार जनवरी 2022 को इस मामले में प्रकाश तारे का बयान भी ले लिया है, पर एफआइआर अभी तक नहीं की है। तारे का कहना है कि मामले को जानबूझकर दबाया जा रहा है।
शिकायत के अनुसार बाजार से कई गुना महंगे दाम पर उपकरणों की खरीदी की गई। इसमें हास्पिटल डेवलमेंट कमेटी (एचडीसी) की अनुमति नहीं ली गई थी। इस कमेटी में अस्पताल के सभी विभागों के प्रमुख रहते हैं। वह अपने विभाग की आवश्यकता के अनुसार उपकरणों की मांग करते हैं।
संचालनालय ने 12 दिसंबर 2015 को तीन अस्पताल और 42 डिस्पेंसरियों के लिए दवाएं खरीदी, लेकिन इसमें क्रय समिति की स्वीकृति नहीं ली। दवा खरीदी का ठेका दिल्ली की एक कंपनी से किया गया, जबकि बिल इंदौर की एक फर्म के नाम से बनाया गया।