मां काली और शस्त्रों की पूजा से शुरूआत
गरबा की शुरुआत मां काली और शस्त्रों की पूजा से होती है। केवल धार्मिक गीतों पर ही गरबा किया जाता है। पूर्वा व्यास ने बताया कि काली माता के प्रत्येक स्वरूप की विशेषता के मुताबिक हर दिन गरबे किए जाते हैं। सप्तमी को काली मां के रूप धारण कर प्रत्येक गरबा खेलने वाले आए और उन्होंने परफॉर्म किया।
संस्कृति और परंपरा से जुड़ेगी नई पीढ़ी
पूर्वा व्यास खुद एक मुस्लिम बाहुल्य वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ चुकी हैं। उनका कहना है कि आज के समय में महिलाओं और बच्चियों के लिए आत्मरक्षा बहुत जरूरी है। उनका मानना है कि बच्चियां घर से ममता भाव सीख जाती हैं लेकिन मां काली उन्हें शस्त्र चलाना सिखाती हैं। साथ ही वह इस गरबे को नई पीढ़ी को अपनी परंपरा और संस्कृति से जोड़ने का एक जरिया भी मानती हैं।