भोपाल : अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल का तीसरा दीक्षांत समारोह भोपाल में आयोजित किया गया। समारोह में मप्र के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल द्वारा इंदौर के होम्योपैथिक चिकित्सक तथा केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी द्वारा चिकित्सा शिक्षा से संबंधित सभी कोर्स से जुड़े विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी पुस्तक ‘ह्यूमन एनाटॉमी’ (मानव शरीर रचना विज्ञान) का विमोचन किया गया। इस पुस्तक का प्रकाशन मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा किया गया है इस अवसर पर मप्र शासन में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, शिक्षा एवं संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया तथा कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के राज्यपाल माननीय श्री मंगूभाई पटेल ने की,
पुस्तक के लेखक डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि चिकित्सा शास्त्र की पुस्तकें हिंदी भाषा में बहुत कम हैं। हिंदी विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति स्वर्गीय श्री रामदेव भारद्वाज तथा मप्र चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. आरएस शर्मा जी की प्रेरणा से पुस्तक का लिखा जाना सुनिश्चित हुआ। आप लोगों ने मुझे इसकी जिम्मेदारी सौंपी जो अत्यंत ही कठिन कार्य था पर किए जाने योग्य था। सबसे कठिन कार्य था शब्दों का क्रमिक व व्यवस्थित प्रयोग। कई बार मेडिकल टर्मिनोलॉजी का वस्तुतः हिन्दी रूपान्तरण कठिन शब्दों के उचित प्रयोग से अर्थों में भिन्नता प्रतीत होती थी जिसे यथावतत रखने का प्रयास भी किया गया है।
आपने कहा कि धन्यवाद देना चाहतू हूं अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. श्री खेमसिंह डहेरिया तथा मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के निदेशक अशोक कड़ेल जी जिनके अथक प्रयास एवं सहयोग से इस पुस्तक का मुद्रण तथा प्रकाशन किया जाना सुनिश्चित हुआ है।
इस पुस्तक का *प्राक्कथन* (प्रस्तावना) मप्र शासन में उच्च शिक्षा मंत्री एवं मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी भोपाल के अध्यक्ष डॉ. मोहन यादव द्वारा लिखा गया है। आपने अपने प्रस्तावना में लिखा है कि हिन्दी भाषा मानवीय मूल्यों को आत्मसात करने और भविष्यत जीवन-संघर्ष में शुचितापूर्ण साधन का उपयोग करते हुए सफल होने का मार्ग प्रशस्त करती है, साथ ही जिज्ञासा एवं प्रश्नाकुलता का अंकुरण करती है। देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी है। हिन्दी भाषा के विकास के कई युग और चरण हैं। यदि यह आज विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषाओं में गिनी जाती है तो इसका कारण उसकी व्याकरणात्मक परिपक्वता है। शास्त्रीय भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारी और अनेक जन-बोलियों की अधिष्ठात्री हिन्दी का आज इतना सामर्थ्य है कि विश्व के अद्यतन विषय, अनुसंधान और तकनीक के विकास को इसके माध्यम से सुगमता से सम्प्रेषित किया जा सकता है। शिक्षाविदों का मानना है कि विषयगत वैशिष्ट्य अर्जित न कर पाने का एक बड़ा कारण विद्यार्थियों पर माध्यमगत दबाव है। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा सहज ग्राह्म और संप्रेष्य तो होती ही है, शिक्षार्थी पर भाषा का अनावश्यक दबाव भी नहीं होता, उसमें मौलिक सोच पैदा होती है।
वहीं इस पुस्तक की *भूमिका* मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशोक कड़ेल द्वारा लिखी गई है जिसमें उन्होंने लिखा है कि भाषा, संस्कृति और संस्कारों की संवाहक होती है। देश और समाज में ज्ञान का प्रकाश भी अपनी भाषा में सरलता व आसानी से व्याप्त होता है। देश की प्रगति में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व में लगभग सभी विकसित राष्ट्रों में उन्नति, उनकी अपनी मातृभाषा में शिक्षा से हुई, वहां के शासन-प्रशासन, उच्च शिक्षा, शोध कार्य आदि सभी का माध्यम उनकी अपनी भाषा में ही है। मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता है।
*पुस्तक में कुल 12 अध्याय हैं* : लेखक डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि यह पुस्तक एबीबीएस, बीएएमएस (आयुर्वेदिक), बीएचएमएस (होम्योपैथिक), फिजियोथेरेपी, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखते हुए लिखी गई है। पुस्तक में कुल 12 अध्याय हैं जिसमें अलग-अलग विषय को समाहित किया गया है। 12 अध्याय में शामिल विषय है मानव शरीर परिचय, अस्थि संस्थान, जोड़ या सन्धियां, पेशीय संस्थान, तन्त्रिका तन्त्र, अन्तः स्त्रावी संस्थान, रक्त-परिसंचरण संस्थान, लसिकीय संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन संस्थान, उत्सर्जन संस्थान, प्रजनन संस्थान शामिल किए गए हैं।