मुंबई । जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा का मानना है कि भारत में देखी जा रही मौजूदा आर्थिक वृ्द्धि टिकाऊ नहीं है और यह वर्ष 2022 की पहली छमाही में चरम पर पहुंच जाएगी। नोमुरा ने अपने वार्षिक परिदृश्य में कहा कि ऊंची मुद्रास्फीति और बढ़ा हुआ चालू खाता घाटा अपना असर दिखाएंगे और भारतीय रिजर्व बैंक कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएगा। नोमुरा ने कहा कि भारत ने महामारी के दौर में आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नरम नीतियां अपनाईं जिसका असर उच्च मुद्रास्फीति एवं चालू खाते का घाटा बढ़ने के रूप में सामने आया है।
ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक भारत का आर्थिक पुनरुद्धार असंतुलित रहा है जिससे निम्न आय वाले परिवारों की खपत कम हुई है और आने वाले समय में सतत रूप से पूंजीगत व्यय में वृद्धि के भी आसार नहीं दिख रहे हैं। नोमुरा के विश्लेषकों ने कहा कि हमें नहीं लगता है कि वृद्धि का मौजूदा दौर टिकाऊ रहेगा। मिश्रित वृद्धि, ऊंची मुद्रास्फीति और दोहरे घाटे बढ़ने से हमारा अनुमान है कि भारत का जोखिम बढ़ेगा और आरबीआई को वृद्धि चक्र संभालने के लिए आगे आना होगा।
ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि पुनरुद्धार की रफ्तार पर आपूर्ति पक्ष से जुड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है लेकिन बिजली की कमी और चिप की किल्लत दूर होने के बाद इसके सामान्य हो जाने की उम्मीद है। हमारा आकलन है कि भारत 2022 की पहली छमाही में कारोबारी चक्र के शिखर पर होगा और दूसरी छमाही में यह रफ्तार सुस्त पड़ने लगेगी। विश्लेषकों ने भारतीय शेयर बाजारों पर अपना रुख तटस्थ रखते हुए कहा कि ऊंचे मूल्यांकन की वजह से कुछ चिंताएं हैं।