जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा असर ईएम फिक्स्ड इनकम मार्केट पर पड़ेगा। डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और रिपब्लिकन कांग्रेस की नीतियों, जैसे टैरिफ, भू-राजनीतिक बदलाव और अमेरिका की घरेलू नीतियों से डॉलर मजबूत होगा और ब्याज दरें बढ़ेंगी। इससे इमर्जिंग मार्केट्स के लिए चुनौतियां बढ़ेंगी। वॉल स्ट्रीट बैंक का अनुमान है कि अगले साल EM बॉन्ड फंड्स से 5 से 15 अरब डॉलर तक का पैसा निकाला जा सकता है।
अमेरिकी नीतियों का असर सबसे बड़ी चुनौती
जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों के अनुसार, EM के लिए सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी नीतियों का असर होगा। हालांकि, फेड की ओर से ब्याज दरें कम करने से कुछ राहत मिल सकती है। 2025 में हार्ड करेंसी वाले सरकारी बॉन्ड की कुल बिक्री 169 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो 2024 से थोड़ा कम है। लेकिन, बढ़ते पेमेंट के कारण नेट फाइनेंसिंग केवल 1.3 अरब डॉलर रह जाएगी। जबकि इस साल यह 55.2 अरब डॉलर थी। बैंक का मानना है कि 2025 के अंत तक हार्ड करेंसी वाले सरकारी बॉन्ड 4.3% रिटर्न देंगे, जबकि 2024 में अब तक 6.9% रिटर्न मिला है।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में उभरते बाजारों के लिए कई चिंताएं जताई गई हैं। अमेरिका में नीतिगत बदलाव और चीन की धीमी विकास दर का सीधा असर EM पर पड़ेगा। रिपोर्ट में EM बॉन्ड फंड्स से बड़ी मात्रा में पैसा निकलने की आशंका जताई गई है। निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। डॉलर के मजबूत होने और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से EM के लिए और मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। हालांकि, फेड की ओर से ब्याज दरें कम करने से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। कुल मिलाकर 2025 में EM के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी।
अमेरिकी नीतियों का असर सबसे बड़ी चुनौती
जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों के अनुसार, EM के लिए सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी नीतियों का असर होगा। हालांकि, फेड की ओर से ब्याज दरें कम करने से कुछ राहत मिल सकती है। 2025 में हार्ड करेंसी वाले सरकारी बॉन्ड की कुल बिक्री 169 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो 2024 से थोड़ा कम है। लेकिन, बढ़ते पेमेंट के कारण नेट फाइनेंसिंग केवल 1.3 अरब डॉलर रह जाएगी। जबकि इस साल यह 55.2 अरब डॉलर थी। बैंक का मानना है कि 2025 के अंत तक हार्ड करेंसी वाले सरकारी बॉन्ड 4.3% रिटर्न देंगे, जबकि 2024 में अब तक 6.9% रिटर्न मिला है।जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में उभरते बाजारों के लिए कई चिंताएं जताई गई हैं। अमेरिका में नीतिगत बदलाव और चीन की धीमी विकास दर का सीधा असर EM पर पड़ेगा। रिपोर्ट में EM बॉन्ड फंड्स से बड़ी मात्रा में पैसा निकलने की आशंका जताई गई है। निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। डॉलर के मजबूत होने और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से EM के लिए और मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। हालांकि, फेड की ओर से ब्याज दरें कम करने से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। कुल मिलाकर 2025 में EM के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी।