ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम और रामजीवन दुबे ने बताया कि श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दौरान जो शुभ योग थे, लगभग वही योग इस बार भी बन रहे हैं। भगवान कृष्ण के जन्म के समय के छह तत्व हैं। भाद्र कृष्ण पक्ष, रात 12 बजे, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना है। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि अष्टमी तिथि को हुआ था। इस बार यह तिथि एक दिन (सोमवार सुबह 3:40 बजे से देर रात 2:20 बजे तक) ही रहेगी। ऐसे में स्मार्त और वैष्णव एक ही दिन पर्व मनाएंगे।
पटेल नगर इस्कान मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाएगा। इस वर्ष की जन्माष्टमी बहुत ही विशेष है, क्योंकि यह पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण की प्राकट्य की 5251वीं वर्ष है। यहां अमेरिका, रूस, यूरोप सहित कई देशों से श्रद्धालु शामिल होंगे। मंदिर में 60 हजार लोगों के लिए प्रसादी बांटने की व्यवस्था की गई है। भगवान श्रीकृष्ण को 108 व्यंजनों का भोग लगेगा।
श्रीजी मंदिर लखेरापुरा, बरखेड़ी में यादव समाज के राधा-कृष्ण मंदिर, भेल बरखेड़ा श्रीकृष्ण सहित कई स्थानों से शोभायात्राएं निकाली जाएंगी। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीला पर आधारित झांकियां व पालकी रहेंगी। श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर शिवाजी नगर में इस बार कन्हैया का जन्मोत्सव सागौन की लकड़ी से निर्मित नए झूले पर किया जाएगा।