भोपाल । कोयले की कमी का असर प्रदेश के चारों पावर प्लांट में दिखने लगा है। चारों थर्मल प्लांट में कई यूनिट को बंद कर दिया गया है। इस वजह से बिजली कंपनी के प्लांट जरुरत की एक तिहाई से भी कम बिजली पैदा कर रहे हैं। प्रदेश में फिलहाल 9500 मेगावाट खपत बनी है जबकि कोयला प्लांट से सिर्फ 2371 मेगावाट ही बिजली बन रही है। बाकी की बिजली एनटीपीसी और निजी पावर प्लांट से आ रही है।
जानकारी के अनुसार प्लांट में एक दिन से लेकर सात दिन तक का ही कोयला बचा है। यदि जल्द कोयला नहीं मिला तो नवरात्र से ही बिजली संकट गहरा सकता है।
मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह ने कहा कि एसीसीएल, एनसीएल और डब्ल्यूसीएल से कोयला प्रदेश के पावर प्लांट में पहुंचता है। इन प्लांट में कोयला निकासी नहीं हो रही। जिस वजह से कोयले की कमी है। इस वजह से प्लांट फुल लोड पर नहीं चला रहे हैं ताकि ज्यादा वक्त तक बिजली उत्पादन किया जा सके। उनके अनुसार देशभर में कोयले की कमी है। मनजीत सिंह ने कहा कंपनी का पूरा फोकस कोयले की आपूर्ति पर है। हर दिन इसकी मानीटरिंग की जा रही है।
चारों
प्लांट में
हालात
प्रदेश में सारणी पावर प्लांट 500 मेगावाट
का है और यहां फिलहाल 500 मेगावाट
बिजली उत्पादन हो रहा है। वहीं बिरसिंहपुर प्लांट 1340 मेगावाट
का है और वहां 601 मेगावाट
ही बिजली बन रही है। अमरकंटक पावर प्लांट में 210 मेगावाट
की जगह 200 मेगावाट
बिजली बन रही है। जबकि 2520 मेगावाट
वाले श्री सिंगाजी पावर प्लांट में 972 मेगावाट
बिजली बन रही है।
क्षमता
से आधी
भी नहीं
बिजली
प्रदेश में पावर जनरेशन कंपनी के थर्मल प्लांट से 5400 मेगावाट
बिजली उत्पादन की क्षमता है। फिलहाल कंपनी 2371 मेगावाट
ही बिजली का उत्पादन हो रहा है। हाइड्रल प्लांट से 915 मेगावाट
की क्षमता है जबकि उत्पादन 732 मेगावाट
किया जा रहा है।
फुल
लोड पर
चार दिन
भी नहीं
चलेंगे प्लांट
मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी यदि 5400 मेगावाट
क्षमता वाले थर्मल पावर प्लांट को पूरी क्षमता से चलाए तो चार दिन भी ये प्लांट नहीं चल पाएंगे। हर दिन करीब 65 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत होती है जबकि कंपनी के पास सभी प्लांट में करीब 2.40 लाख मीट्रिक टन कोयला ही बचा है।