कचरा कलेक्शन से शुरू हुई थी कमाई
पंचायतों में निकलने वाले कचरे को एकत्रित कर इसका सेग्रिगेशन भी किया जा रहा था। इससे पंचायतों को कमाई हो रही थी। लेकिन कचरा इकट्ठा करने का काम बंद होने से पंचायतों की कमाई रुक गई है। बैठक में सचिवों ने बताया कि इस काम में लगे कर्मचारियों का वेतन भी पंचायतों से जारी नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह कर्मचारी परेशान हो रहे हैं।
प्रतिदिन 100 टन से ज्यादा कचरा होता इकट्ठा
वर्तमान में जिले की 222 पंचायतों में जीपीएस मॉनीटरिंग सिस्टम से 199 ई-रिक्शा और 50 ट्राइसिकिल की मदद से कचरा उठाने का दावा जिला पंचायत की तरफ से किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायतों में 93 हजार 893 कच्चे पक्के घर हैं, जिसमें पांच लाख 31 हजार 349 की आबादी रहती है। इन घरों से रोजाना 102.50 मीट्रिक टन गीला और 25.50 मीट्रिक टन सूखा कचरा एकत्र होता है। इसमें से प्लास्टिक वेस्ट को अलग किया जाता है।
इनका कहना है
पंचायतों में कचरा इकट्ठा करने का काम वाहनों के जरिए किया जा रहा है। कुछ वाहनों में सुधार कार्य कराया जाना है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम आगे भी जारी रहेगा।
- ऋतुराज सिंह, सीईओ, भोपाल जिला पंचायत