शिकायतें प्राप्त होने पर उन्हें एक विभाग से दूसरे विभाग में हस्तांतरित कर दिया जाता है जिससे समय पर शिकायत का निराकरण नहीं हो पाता है, जबकि निराकरण अधिकारी लेवल-1 पर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं नगरीय निकाय के मुख्य नगर पालिका अधिकारी ही हैं। उन्होंने कहा कि अंत्येष्टि सहायता न मिलने की शिकायत पर पात्रता का परीक्षण उसका शीघ्र निराकरण करें ताकि शिकायतें अनावश्यक रूप से लंबित न रहें।
बता दें, संबल योजना के तहत जिन श्रमिकों की मृत्यु हो गई है उनकी अंत्येष्टि के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना में अंत्येष्टि पर पांच हजार रुपये, सामान्य मृत्यु पर दो लाख रुपये, दुर्घटना में मृत्यु पर चार लाख रुपये, आंशिक दिव्यांगता पर एक लाख रुपये एवं स्थायी दिव्यांगता पर दो लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है।
मध्य प्रदेश में ऐसे 24 हजार लंबित प्रकरणों में 533 करोड़ रुपये की राशि निहित है जिसमें से 264 करोड़ रुपये की राशि मध्य प्रदेश असंगठित शहरी, ग्रामीण कर्मकार मंडल को जारी की गई है। इसमें सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राहियों के लिए 161 करोड़ चार लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इनके अलावा अनुसूचित जनजाति के लिए 60 करोड़ 72 लाख रुपये एवं अनुसूचित जाति के लिए 42 करोड़ 24 लाख रुपये शामिल हैं।