नई दिल्ली । वृहद आर्थिक आंकड़े, इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) सहित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की कई कंपनियों के तिमाही परिणाम से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। नए वर्ष 2022 की शुरुआत शेयर बाजारों के लिए काफी अच्छी रही है।
इस बीच बाजार भागीदारों की नजरें घरेलू के अलावा वैश्विक मोर्चे पर कोरोना से जुड़ी खबरों पर रहेगी। विश्लेषकों का कहना है कि आईटी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियां मसलन इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो, एचसीएल टेक और माइंडट्री इस सप्ताह अपने तिमाही नतीजों की घोषणा करेंगी। इसके अलावा एचडीएफसी बैंक का भी तिमाही परिणाम आना है। साथ ही बाजार भागीदारों की नजरें औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी), खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) और थोक मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़ों पर भी रहेगी।
कुल मिलाकर बाजार पर वैश्विक संकेतकों तथा कोविड-19 से जुड़ी खबरों का भी असर पड़ेगा। आईटी कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार को दिशा देंगे। बाजार भागीदार उम्मीद कर रहे हैं कि आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के परिणाम उत्साह बढ़ाने वाले होंगे।
अभी तक बाजार ने कोविड के नए स्वरूप ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों को नजरअंदाज किया है, लेकिन कई राज्यों द्वारा कड़े अंकुशों की वजह से आगे बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है। आईटी कंपनियों के परिणामों, आईआईपी, सीपीआई और डब्ल्यूपीआई आंकड़ों की वजह से बाजार के लिए यह सप्ताह काफी व्यस्त रहने वाला है। आईआईपी और सीपीआई के आंकड़े 12 जनवरी को और डब्ल्यूपीआई के 14 जनवरी को आएंगे।
बाजार के जानकारों ने कहा कि दुनियाभर में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वालों मरीजों की संख्या और मृत्यु दर काफी कम है, जिसकी वजह से बाजार ने इसे नजरअंदाज किया है। हालांकि बाजार की निगाह महामारी की तीसरी लहर पर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए, तो कच्चे तेल के बढ़ते दाम चिंता का विषय हैं। इसके अलावा चीन के मुद्रास्फीति और अमेरिका के खुदरा बिक्री के आंकड़े भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेंगे।
वृहद आर्थिक मोर्चे पर निवेशकों की निगाह घरेलू के अलावा अमेरिका और चीन के मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर रहेगी। सप्ताह के दौरान कई महत्वपूर्ण वृहद आर्थिक आंकड़े आने हैं। सप्ताह के दौरान दिसंबर के मुद्रास्फीति तथा नवंबर के आईआईपी आंकड़े आएंगे। इसके साथ ही निवेशकों की निगाह विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश के रुख और रुपए के उतार-चढ़ाव पर भी रहेगी।