रेत में ढाई गुना तो दिहाड़ी में 200 रुपये का इजाफा
भोपाल।कोरोना वायरस के कारण जारी लाकडाउन के चलते रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से लेकर सरकारी निर्माण कार्यों की लागत बढ़ रही है। रियल एस्टेट सेक्टर के सबसे बड़े संगठन क्रेडाई का मानना है कि प्रोजेक्ट में 15 से 20 प्रतिशत तक दाम में इजाफा हो सकता है। लॉकडाउन के बाद बढ़े हुए रेत के दाम निर्माण एजेंसियों व कंपनियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। तीन माह पहले की तुलना में रेत ढाई गुना महंगी हो गई है। सीमेंट के कीमत में 50 से 70 रुपये का उछाल आया है। लोहे का दाम भी बढ़ गया है। लॉकडाउन के पहले 38 रुपये प्रति किलो में बिकने वाला लोहा अब 48 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है। इस कारण वर्तमान में घर बनाना महंगा हो गया है।करीब तीन माह से बंद पड़े निर्माण कार्यों ने रफ्तार तो पकड़ ली है, लेकिन अब महंगाई की मार से प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं। क्रेडाई के पदाधिकारियों ने बताया कि कई निर्माण कार्य भले ही शुरू हो गए हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। जो मजदूर 600 रुपये जोड़े में रोजाना काम करते थे, अब इनकी दिहाड़ी 200 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 800 रुपये हो गई है। इसके अलावा सिंगल लेबर भी 300 रुपये के बजाय 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी पर मिल रही है। दरअसल, शहर में निर्माण कार्यों में 60 फीसद मजदूर अन्य प्रदेशों के काम करते थे। जो कोरोना संक्रमण काल में अपने-अपने गृह जिले जा चुके हैं। अब स्थानीय मजदूरों के भरोसे ही निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। लिहाजा, दिहाड़ी में इजाफा हुआ है। आने वाले समय में आवास खरीदने में लोगों को 15 से 20 प्रतिशत तक अधिक राशि खर्च करनी पड़ेगी। क्रेडाई ने महंगाई को देखते हुए रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में दामों के बढ़ोतरी का संकेत दिया है। शहर में टू बीएचके की कीमत औसतन 20 से 23 लाख रुपये है। यदि 20 लाख रुपये के हिसाब से कीमत मानी जाए तो तीन लाख रुपये अतिरिक्त भार पड़ेगा। इससे रियल एस्टेट सेक्टर के व्यापार में मंदी की स्थिति बनेगी। नगर निगम कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष जयदेव सिंह चौहान ने बताया कि पुराने प्रोजेक्ट के अनुबंध हो चुके हैं। लिहाजा, इन्हें पूरा करना कांट्रेक्टर की मजबूरी है, लेकिन नए कामों के लिए वर्तमान स्थिति के आधार पर एसओआर (शेड्यूल ऑफ रेट्स) तय किया जाना जरूरी है। वर्तमान में नगर निगम 2012 के एसओआर पर काम कराता है। यदि पुराने एसओआर की दरों पर ही टेंडर हुए तो ठेकेदार घाटे के कारण इसमें भाग ही नहीं ले पाएंगे। इस बारे में मप्र क्रेडाई के अध्यक्ष वासिक हुसैन का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर की स्थिति पहले से ही ठीक नहीं है। अब निर्माण सामग्रियों के दाम में इजाफा होने से लागत भी बढ़ गई है। इससे आवासों की कीमत में भी इजाफा होना तय है। इसका विपरीत असर पड़ेगा।