रिजर्व बैंक ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य हासिल करने को लेकर जताई आशंका

Updated on 30-12-2021 10:07 PM

नई दिल्ली   देश के बैंकों के संचालन के शीर्ष संस्थान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने को लेकर आशंका जताई है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत तक सीमित रखने का बजट लक्ष्य रखा है, लेकिन केंद्रीय बैंक का मानना है कि यह ऊपर जा सकता है।

 आरबीआई ने शुद्ध रूप से कर राजस्व अब तक 83 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10.53 लाख करोड़ रुपये पहुंचने के बावजूद 3.73 लाख करोड़ रुपए की दूसरे अनुपूरक अनुदान मांग को देखते हुए यह अंदेशा जताया है। सरकार ने 2021-22 के बजट में 34.83 लाख करोड़ रुपए के कुल व्यय का निर्धारण किया है। यह जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 6.8 प्रतिशत है।

 रिजर्व बैंक ने जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा कि सरकार का शुद्ध कर राजस्व अक्टूबर, 2020 के 5,75,697 करोड़ रुपए से बढ़कर 2021 में अक्टूबर तक 10,53,135 करोड़ रुपए पहुंच गया। यह सालाना आधार पर 82.93 प्रतिशत अधिक है। वहीं कुल व्यय इस दौरान केवल 9.95 प्रतिशत बढ़ा है। बुनियादी ढांचे की अगुवाई में कुल व्यय अक्टूबर, 2021 तक 18,26,725 करोड़ रुपए रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 16,61,454 करोड़ रुपए था।

रिपोर्ट के अनुसार, कुल कर राजस्व इस साल अक्टूबर तक 55.79 प्रतिशत बढ़कर 13,64,101 करोड़ रुपए रहा जो अक्टूबर, 2020 में 8,75,591 करोड़ रुपए था। अक्टूबर तक सरकार के सभी घाटे में (सकल राजकोषीय घाटा, प्राथमिक घाटा और राजस्व घाटा) सालाना आधार के साथ-साथ महामारी-पूर्व स्तर से सुधार के संकेत हैं। मजबूत वृद्धि के साथ सकल कर राजस्व बेहतर है।

रिपोर्ट में आगाह करते हुए कहा गया है, ‘लेकिन दिसंबर में पेश 3.73 लाख करोड़ रुपए की दूसरे अनुपूरक अनुदान मांग को देखते हुए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य पर दबाव पड़ सकता है।राजकोषीय घाटा अक्टूबर, 2021 में 5,47,026 करोड़ रुपए रहा, जो लक्ष्य का 42.61 प्रतिशत है। यह पिछले साल अक्टूबर में 9,53,154 करोड़ रुपए था।

वहीं राजस्व घाटा 3,13,478 करोड़ रुपए रहा, जो लक्ष्य का 59.40 प्रतिशत है। जबकि पिछले साल यह 7,72,196 करोड़ रुपए था। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि सकल सरकारी उधारी का आकार उस गति से आगे बढ़ा है जिससे यह पता चलता है कि बजट अनुमानों का पालन किया जाएगा, लेकिन सरकार की देनदारी दायित्व में आगे महत्वपूर्ण वृद्धि के संकेत हैं।

इसका मतलब है कि राजकोषीय मजबूती के बावजूद सकल उधारी ऊंची रह सकती है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 3.73 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च की मंजूरी को लेकर इस महीने संसद में दूसरा अनुपूरक अनुदान मांग पेश की।


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