महिला स्व-सहायता समूहों को पोषण आहार का दायित्व

Updated on 29-09-2021 06:27 PM

भोपाल |  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय मे हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश के 7 पोषण आहार संयंत्रों का प्रबंधकीय कार्य .प्र. एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमि. से वापस लिया जाकर मध्यप्रदेश राज्य आजीविका फोरम अंतर्गत गठित महिला स्व-सहायता समूहों के परिसंघों को सौंपे जाने के संबंध में निर्णय लिया।

             मंत्रि-परिषद में पारित निर्णय संबंधी आदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी किया जाएगा।

          उल्लेखनीय है कि मार्च 2018 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश की आंगनवाड़ियों में गर्भवती/धात्री माताओं, 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों तथा किशोरी बालिकाओं के लिए टीएचआर प्रदायगी का कार्य स्व-सहायता समूहों के परिसंघों द्वारा किये जाने के लिए 7 टीएचआर संयंत्रों की स्थापना का निर्णय लिया गया था। उक्त निर्णय के परिप्रेक्ष्य में देवास, धार, होशंगाबाद, मण्डला, सागर, शिवपुरी एवं रीवा में संयंत्र स्थापित किए गए। इन सभी संयंत्रो से (भोपाल संभाग के जिले छोड़करप्रदेश के अन्य सभी जिलों में रेडी टू ईट टेकहोम राशन (टीएचआरदिया जा रहा है। टीएचआर उत्पादन एवं प्रदायगी कार्य राज्य आजीविका फोरम द्वारा गठित महिला स्व-सहायता समूहों के परिसंघों को सौंपा गया था। संयंत्रों से प्रदेश के बहुतायत महिला स्व-सहायता समूह एवं उनके परिसंघ जुड़े है। संयत्रों के यथाआवश्यक कार्यो में प्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराने के साथ संयंत्रों के लाभांश में भी उनकी भागीदारी सुनिश्चित की गई है।

          मध्यप्रदेश शासन के निर्णय के परिप्रेक्ष्य मे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश  16 जनवरी 2020 द्वारा उक्तानुसार 7 संयंत्रों का प्रबंधकीय कार्य मध्य प्रदेश एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड को सौंपा जाकर टीएचआर की प्रदायगी एम.पी. एग्रो द्वारा की जा रही थी।

                             राज्य स्तरीय समिति गठित करने का निर्णय

          मंत्रि-परिषद ने खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान की मिलिंग के लिए शेष मात्रा 3.82 लाख मे.टन एवं खरीफ विपणन वर्ष 2017-18 की 1250 मे. टन धान को भारत शासन द्वारा केन्द्रीय पूल में मान्य नहीं करने के कारण मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन एवं मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को मिलिंग के लिए उनके पास शेष रही मात्रा - ऑक्शन के माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुये विक्रय करने की अनुमति दी।

          मंत्रि-परिषद ने उक्त धान के विक्रय के लिए रिजर्व प्राईस/ ऑफसेट मूल्य के निर्धारणनिविदा प्रक्रिया के निर्धारण एवं नीलामी में प्राप्त दरों के अनुमोदन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति का गठन करने का निर्णय लिया।

 पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठन का अनुसमर्थन

          मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के विशेष संदर्भ में उनके सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करने आवश्यक सुझाव एवं अनुशंसाएं राज्य सरकार को प्रस्तुत किये जाने के लिए गठित 'मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग' के गठन का अनुसमर्थन का निर्णय लिया।

                             लोक परिसम्पत्तियों के रिजर्व मूल्य निर्धारण के लिये नीति

          मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश सीमा अंतर्गत निर्वर्तित की जाने वाली लोक परिसम्पत्तियों के रिजर्व मूल्य निर्धारण के लिए निर्णित नीति का अनुमोदन किया। मंत्रि- परिषद द्वारा निर्णय लिया गया कि सामान्य नीति में भू- उपयोग यथा व्यावसायिक/ आवासीय होने पर परिसम्पत्ति के रिजर्व मूल्य की गणना कलेक्टर द्वारा निर्धारित चालू वर्ष की गाइडलाइन (उपबंध को पृथक रखते हुएअनुसार व्यवसायिक/ आवासीय विकसित प्लॉट की प्रति वर्गमीटर की दर के आधार पर की जायेगी मिश्रित भू-उपयोग भूमि की परिसम्पत्तियों के रिजर्व मूल्य की गणना व्यावसायिक विकसित प्लाट की प्रति वर्गमीटर की दर के आधार पर की जायेगी। सार्वजनिक एवं अर्द्धसार्वजनिक भू- उपयोग की परिसम्पत्तियों के रिजर्व मूल्य की गणना आवासीय विकसित प्लॉट की प्रति वर्गमीटर की दर के आधार पर की जायेगी।

          अविकसित भूमि के लिए इन्दौर, भोपाल, जबलपुर एवं ग्वालियर नगर निगम क्षेत्रों में 1000 वर्ग मीटर, अन्य नगर निगम/ नगर परिषद क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर एवं सभी नगर पंचायत क्षेत्रों में 300 वर्ग मीटर तक की भूमि को प्लाट के रूप में परिभाषित कर रिजर्व मूल्य भू- उपयोग अनुसार यथा व्यावसायिक/ आवासीय आधार पर विकसित प्लाट के लिए प्रति वर्गमीटर की दर अनुसार मूल्यांकन का 100 प्रतिशत एवं उक्त क्षेत्रफल से अतिरिक्त बढ़े हुए क्षेत्रफल का मूल्यांकन कलेक्टर द्वारा निर्धारित विकसित प्लाट के लिए प्रति वर्ग मीटर की दर अनुसार मूल्यांकन का 60 प्रतिशत के मान से किया जाये। इस प्रकार रिजर्व मूल्य का निर्धारण यथा 1000,500,300 वर्ग मीटर तक मूल्यांकन का 100 प्रतिशत एवं अतिरिक्त बढ़े हुए क्षेत्रफल की मूल्यांकन के 60 प्रतिशत का योग होगा। सामान्य: अविकसित भूमि को विकसित करने पर विक्रय योग्य लगभग 60 प्रतिशत भू-खण्ड प्राप्त होते है, इसलिए अविकसित भूमि का 60 प्रतिशत उपरोक्त गणना में लिया गया है।

          ऐसी परिसम्पत्तियॉ जो नगर तथा ग्राम निवेश लेआउट के भीतर प्लाट के रूप में स्वीकृत हैं, उनमें क्षेत्रफल बंधनकारी नहीं होगा। ऐसी परिसम्पत्तियों के रिजर्व मूल्य की गणना भू-उपयोग अनुसार व्यावसायिक/ आवासीय विकसित प्लाट के लिए प्रति वर्ग मीटर की दर अनुसार मूल्यांकन का 100 प्रतिशत रखी जायेगी। औद्योगिक परिसम्पत्तियों पर स्थापित प्लांट एवं मशीनरी को स्क्रेप के रूप में निर्वर्तन किये जाने के लिए शासकीय,अर्द्धशासकीय,सहकारिता संस्था द्वारा नियुक्त मूल्यांकनकर्ता के प्राप्त मूल्यांकन अनुसार रिजर्व मूल्य की गणना 100 प्रतिशत के मान से की जायेगी। निर्मित संरचना की परिसम्पत्ति के मूल्य की गणना '' सम्पत्ति से संबंधित लिखत पर स्टाम्प शुल्क की प्रभार्यता अवधारित करने के प्रयोजन के लिए प्रशासित मध्यप्रदेश बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांतों का बनाया जाना और उनका पुनरीक्षण नियम, 2018 के अधीन बनाये गये नियमों के अंतर्गत स्थावर सम्पत्ति के बाजार मूल्य की सूची (गाइडलाइनवर्ष 2021-22 के लिए उपबंध अन्तर्गत '' भवनों के लिए उपबंध'' अनुसार निर्धारित किया जाकर रिजर्व मूल्य की गणना 100 प्रतिशत के मान से की जायेगी। सार्वजनिक एवं अर्द्धसार्वजनिक भू- उपयोग वाली परिसम्पत्तियों का निर्वर्तन यथा संभव वाणिज्यिक/ मिश्रित भू- उपयोग में उपांतरण कर किया जायेगा। ऐसी भूमियां जो निवेश क्षेत्र के बाहर/अधिसूचित/ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है तथा किसी मास्टर प्लान का हिस्सा नहीं है, के रिजर्व मूल्य की गणना करने में कलेक्टर द्वारा स्थल निरीक्षण के बाद परिसम्पत्ति के आसपास के क्षेत्र के व्यवहारिक भू- उपयोग के आधार पर परिसम्पत्ति का भू-उपयोग निर्धारित किया जावेगा। यह निर्धारण केवल रिजर्व मूल्य को निर्धारित करने के प्रयोजन से किया जावेगा। ऐसी भूमि जोकि मास्टर प्लान का हिस्सा है वहाँ का भू-उपयोग नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा निर्धारित किया जायेगा।

          भू-उपयोग, परिसम्पत्ति के रिजर्व मूल्य के निर्धारण में महत्वपूर्ण घटक है। सफल निविदाकार को प्रचलित नियमों के अंतर्गत निर्वर्तित परिसम्पत्ति के भू-उपयोग में परिवर्तित करने की स्वतंत्रता होगी। इसके लिए निर्धारित शुल्क पृथक से देय होगा।



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