मॉस्को: चांद को लेकर रूस की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। रूस चाहता है कि चांद पर एक परमाणु ऊर्जा संयत्र बनाया जाए। कथित तौर पर भारत ने रूस के साथ इस परियोजना में जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई है। रूस की यह परियोजना चीन के साथ चंद्रमा पर बेस बनाने के साथ जुड़ा है। रूस के राज्य परमाणु निगम, रोसाटॉम (Rosatom) के नेतृत्व में इस परियोजना को बनाया जाना है। परियोजना का लक्ष्य एक छोटा परमाणु ऊर्जा प्लांट बनान है जो बेस के लिए लगभग आधा मेगावाट की ऊर्जा पैदा करने में सक्षम हो।
TASS की एक रिपोर्ट के मुताबिक रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिकचेव ने कहा कि चीन और भारत चांद पर ऊर्जा के इस स्रोत को बनाने के लिए उत्सुक हैं। ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'हमें चंद्रमा पर आधे मेगावाट तक की क्षमता वाला परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विकल्प बनाने को कहा गया है। वैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी के साथ हमारे चीनी और भारतीय साझेदारों को इसमें बहुच रुचि है। हम कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष परियोजनाओं की नींव रखने की कोशिश कर रहे हैं।'
रूस और चीन बनाना चाहते हैं बेस
रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने मई में घोषणा की थी कि इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र को लेकर काम चल रहा है। साल 2036 तक चंद्रमा पर इसकी तैनाती का लक्ष्य है। परमाणु रिएक्टर चंद्रमा के बेस को ऊर्जा देगा, जिसे बनाने के लिए रूस और चीन साथ मिलकर काम कर रहे हैं। चंद्रमा के इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण जटिल होगा। रूस ने पहले ही कहा था कि वह ऐसा परमाणु प्लांट बना रहा है.
भारत कब बनाएगा चांद पर बेस
रूस और चीन स्पेस एक्सप्लोरेशन में करीबी से सहयोग कर रहे हैं। 2021 में दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS) नामक संयुक्त चंद्रमा बेस बनाने की योजना की घोषणा की। रिपोर्ट के मुताबिक 2035 और 2045 के बीच इस बेस के शुरू होने की उम्मीद है। बेस का उद्देश्य चंद्रमा पर वैज्ञानिक अनुसंधान करना है। रूस का कहना है कि यह सभी देशों और इच्छुक भागीदारों के लिए खुला होगा। लॉन्ग टर्म चंद्रमा महत्वाकांक्षाओं के साथ भारत ने 2050 तक चंद्रमा पर अपना बेस स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन भारत का रूस के चंद्र न्यूक्लियर प्लांट में जुड़ना इस उद्देश्य में तेजी ला सकता है।