इंदौर- बहुत छोटे बच्चों के लिए उसके माता - पिता उसकी पहली दुनिया होते हैं. नन्हे कदमों से धीरे-धीरे बढ़ते हुए बच्चों को बाहरी दुनिया से परिचय कराना अपने आप में कठिन है, जिसे माता-पिता बखूबी करने की कोशिश तो करते हैं लेकिन सिंगल यूनिट फैमिली होने के कारण उतना ही कर पाते हैं, जितना समझते हैं या सोशल मीडिया पर देखते हैं. बच्चों को बाहरी दुनिया में सीखने, खासकर स्कूल जाने के पहले उन्हें किस तरह मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया जाना चाहिए, उनकी कल्पना और रचनात्मकता को कैसे बढाया जाए इस पर इंदौर के सत्व टाइनी एक्सप्लोरर्स प्रेप स्कूल ने एक पेरेंट – टोड्लर प्रोग्राम डिजाइन किया है.
सत्व टाइनी एक्सप्लोरर्स प्रेप स्कूल के अथर्व शर्मा ने बताया कि पहले बच्चे के साथ शुरुआत के 12 - 15 महीने तो बढ़िया निकल जाते हैं, उसके बाद पेरेंट्स का तनाव शुरू होता है कि बच्चा प्राइमरी स्कूल में कैसे अपने आप को एडजस्ट करेगा, यही हमारे इस कार्यक्रम का आधार है.
पेरेंट-टॉडलर प्रोग्राम माता-पिता, बच्चे और उसके स्कूल के बीच मजबूत बंधन बनाने में मदद करने के साथ साथ, मानसिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देते हैं. इन कार्यक्रमों के दौरान पेरेंट्स अपने बच्चों के भीतर के टैलेंट को और उनकी खूबियों की और अधिक पहचान कर सकेंगे. साथ ही, ये प्रोग्राम बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए सोशल होने का एक मौक़ा है जो बच्चों को एजुकेशनल एक्सपीरिएंस के लिए तैयार करते हैं.
अथर्व आगे कहते हैं, हर माता-पिता के लिए यह बात बहुत जरूरी है कि उसका बच्चा स्कूल जाने से पहले उन जरूरी बातों को सीख ले जो अर्ली पेरेंटिंग की कैटेगरी में आती हैं. 10 सितम्बर से सप्ताह में दो बार होने वाले ये सारे सेशन इस तरह से डिजाईन किये गए हैं कि माँ और बच्चे के लिए दूसरे बच्चों और उनकी मम्मी के साथ मौज मस्ती करते हुए सीखना आसान हो और उनका अगली बार स्कूल आने का मन करे.