भूखी आबादी का पेट भरना है... सूखे से जूझ रहे जिम्बाब्वे में मारे जाएंगे 200 हाथी, लोगों में बांटा जाएगा मांस

Updated on 20-09-2024 02:33 PM
हरारे: अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में अधिकारियों ने अपने भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए हाथियों को काटने का फैसला लिया है। वन्य अफसरों ने 200 हाथियों को काटकर उनका मांस लोगों में बांटने की इजाजत दी है। जिम्बाब्वे पार्क और वन्यजीव प्राधिकरण के प्रवक्ता तिनशे फरावो ने इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सीएनएन से कहा कि देश की करीब आधी आबादी गंभीर भूख के खतरे का सामना कर रही है। हमने 200 हाथियों को मारना तय किया है।

फरावो ने बताया है कि जिम्बाब्वे की हाथियों की आबादी 84,000 से अधिक है। यह बोत्सवाना के बाद विश्व स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। हम लोगों की जान बचाने के लिए हाथियों को काट रहे हैं। अधिकारियों ने देश में चार दशक के सबसे भयावह सूखे के चलते आई खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए वन्यजीवों को मारने का फैसला लिया है। हालांकि इसके लिए सरकार को पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और संरक्षणवादियों की आलोचना का सामना करना पड़ा है।

जिम्बाब्बे ने नामिबिया को देखते हुए लिया फैसला!


जिम्बाब्बे की पर्यावरण मंत्री सिथेम्बिसो न्योनी ने हाल ही में कहा था कि उनके देश में बहुत ज्यादा हाथी हैं। इन रख पाने की क्षमता जंगलों की नहीं है। हाथियों की अधिक आबादी के कारण संसाधनों की कमी हो रही है और मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है। इसे देखते हुए जिम्बाब्वे भी नामीबिया की तरह हाथियों की गिनती करने और उनके मांस को प्रोटीन की कमी वाले क्षेत्रों में रहने वालों के बीच वितरित करने के प्लान पर काम करेगी।

नामीबिया की सरकार ने भोजन की कमी का सामना कर रहे लोगों का पेट भरने के लिए हाथियों सहित 700 जंगली जानवरों को मारने की इजाजत दी है। नामीबिया के पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, अब तक 150 जानवरों को मारकर 1,25,000 पाउंड मांस लोगों में बांटा गया है। जिम्बाब्वे और नामीबिया उन अफ़्रीकी देशों में से हैं

जिम्बाब्वे के वन प्राधिकरण के प्रवक्ता फरावो ने कहा कि आवश्यक कागजी कार्रवाई के बाद हाथियों को मारने का काम शुरू होगा। इसके लिए हाथियों की घनी आबादी वाले क्षेत्रों को लक्षित करेगा। दूसरी ओर जिम्बाब्वे स्थित सेंटर फॉर नेचुरल रिसोर्स गवर्नेंस के प्रमुख फराई मगुवु ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि हाथियों को अस्तित्व का अधिकार है और इंसान की भी आने वाली पीढ़ियां हाथियों को उनके प्राकृतिक रूप में देखने की हकदार हैं। ऐसे में हाथियों को मारा नहीं जाना चाहिए।

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