वॉशिंगटन: सितम्बर के महीने में कई महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाएं होने वाली हैं, इनमें से एक फुल हार्वेस्ट मून होगी। वैसे तो सभी पूर्णिमा अपने आप में खास होती है, लेकिन इस महीने होने वाला सुपर हार्वेस्ट मून विशेष रूप से उल्लेखनीय होगा। सुपरमून होने के साथ ही 17 सितम्बर की पूर्णिमा को आंशिक चंद्रग्रहण भी होने जा रहा है। चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति में होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे आ जाता है। ऐसा तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इसी क्रम एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं। इस दौरान पृथ्वी सूर्य की रोशनी और चंद्रमा पर उसकी परछाई पड़ती है। छाया की वजह से पूरा चंद्रमा या उसका कुछ हिस्सा दिखाई नहीं देता है। इसे चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है।
कहां-कहां आएगा नजर?
स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनसार, फुल हार्वेस्ट मून के दौरान लगने वाला आंशिक चंद्रग्रहण उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, पूरे दक्षिण अमेरिका, यूरोप में देखा जा सकेगा। इसके साथ ही यह अफ्रीका के पूर्वी भागों को छोड़कर बाकी हिस्से, एशिया और रूस के पश्चिमी भाग और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
सुपरमून या हार्वेस्ट मून कोई खगोलीय शब्द नहीं है। यह उस पूर्णिमा को कहा जाता है जो शरद विषुव के करीब होती है। इस वजह से चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिसके चलते इस समय यह आकाश में सामान्य की तुलना में थोड़ा बड़ा दिखाई दे सकता है। हालांकि, अधिकांश लोगों के लिए नग्न आंखों से इस अंतर को देख पाना मुश्किल हो सकता है।
क्यों कहा जाता है हार्वेस्ट मून?
सितंबर में होने वाला फुल हार्वेस्ट मून इस साल लगातार चार सुपरमून में से दूसरा है। यह अगस्त के ब्लू मून के बाद हो रहा है। हार्वेस्ट मून नाम इसे बहुत पहले दिया गया था। शरद विषुव उस खास घटना को कहा जाता है, जब सूर्य उत्तरी से दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करता है। शरद ऋतु की शुरुआत के साथ ही ये वह समय होता है, जब फसलें अपने चरम पर होती हैं। जब बिजली नहीं थी तो किसान देर रात में फसले काटने के लिए चंद्रमा की रोशनी पर निर्भर हुआ करते थे। इसीलिए किसान इसे हार्वेस्ट मून कहा करते थे।