भारत के पड़ोस में मौजूद है हवाई जहाज का 'ब्लैक होल', एक भी प्लेन उड़ने की नहीं करता है हिम्मत, यहां जाना मतलब मौत!

Updated on 07-09-2024 02:12 PM
बीजिंग: हवाई जहाज हमेशा से इंसान की प्रतिभा का चमत्कार रहा है। यह हमें कम समय में लंबी दूरी तय करने की इजाजत देता है। आधुनिक विमान खराब मौसम से लेकर मुश्किल ऊंचाई जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए डिजाइन किए गए हैं। हालांकि दुनिया में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां उड़ान विशेष तौर से चुनौतीपूर्ण है। ऐसा ही एक क्षेत्र भारत के पड़ोस में मौजूद है। जब भी आप ऑनलाइन फ्लाइट रडार देखेंगे तो आपको विमानों से घिरे इलाके में एक खालीपन दिखाई देगा। इस खोखले इलाके में विमान उड़ने की हिम्मत नहीं करते हैं। यह इलाका तिब्बत का पठार है।

तिब्बती पठार न केवल ऊंचा है बल्कि ऊंचाई से जुड़ी समस्याओं से भरा है। यहां पर माउंट एवरेस्ट की तरह विशाल पर्वत हैं जिनकी चोटियां आसमान में कई किलोमीटर तक ऊंची है। यह निचले वातावरण से काफी अलग वातावरण बनाती है। अत्यधिक ऊंचाई काफी पतली हवा पैदा करता है। इससे एयरक्राफ्ट के इंजन काफी मुश्किलों का सामना करते हैं। उड़ान के लिए जरूरी ऊर्जा बनाने के लिए यह मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थितियों में हवा का घनत्व बहुत कम होता है, जिससे विमानों के लिए लगातार उड़ान भर पाना मुश्किल हो जाता है। यह ठीक उसी तरह है, जैसे एवरेस्ट की चोटी पर हाफते हुए मैराथन दौड़ने की कोशिश की जा रही हो।

प्लेन को उड़ने में आती है दिक्कत


हवा के घनत्व के अलावा तिब्बती पठार पर हमेशा मौसम खराब होता रहता है। यहां हवा का खतरनाक हो जाना, अचानक टर्बुलेंस और अचानक तूफान आम घटनाएं हैं। प्लेन में यहां से उड़ने के दौरान भयानक टर्बुलेंस होता है। ये स्थिति पायलटों के लिए भारी चुनौतियां पैदा करती है, जो सुरक्षित उड़ान के लिए स्थिर हवा पर भरोसा करते हैं। पतली हवा और तूफानी मौसम का साथ मिल जाना विमानों के लिए बड़ा खतरा पैदा करते हैं। इस तरह के खतरों के दौरान विमान को तेजी से अपनी ऊंचाई कम करनी पड़ती है। अगर यहां ऐसा कुछ किया जाता है

इमरजेंसी लैंडिंग की कमी


तिब्बती पठार में उड़ना इमरजेंसी लैंडिंग की कमी के कारण भी समस्या पैदा करता है। इस इलाके में इमरजेंसी लैंडिंग के विकल्प लगभग न के बराबर हैं। तिब्बती पठार कम आबादी वाला और ऊबड़-खाबड़ वाला इलाका है। यहां विमान का उतरना या उड़ान भरना मुश्किल है, जिस कारण यहां एयरपोर्ट न के बराबर हैं। पायलट उन रास्तों को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं, जहां जरूरत पड़ने पर सुरक्षित लैंडिंग की जा सके। तिब्बती पठार में एयर ट्रैफिक कंट्रोल की उपस्थिति भी यहां उड़ान भरने को चुनौतीपूर्ण बना देती है। यही कारण है कि विमान तिब्बत के पठार से नहीं गुजरते हैं।

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