नई दिल्ली । भोजन में सबसे अहम रोल अदा करने वाली हल्दी को लेकर जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (जीएसटी-एएआर) की महाराष्ट्र बेंच ने नई व्यवस्था दी है और कहा कि हल्दी एक मसाला है जिस पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।
बेंच के सामने यह सवाल था कि क्या हल्दी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट है जिसे जीएसटी में छूट मिलेगी। लेकिन जीएसटी-एएआर ने अपने फैसले में कहा कि किसान हल्दी को पहले उबालते हैं और फिर सुखाने के बाद पॉलिश करके बाजार में बेचते हैं। यह जीएसटी-एएआर की गुजरात बेंच के फैसले के उलट है। जीएसटी-एएआर के कर्नाटक बेंच ने भी हाल में कहा था कि अंडा (कच्चे रूप में) एक एग्रीकल्चर प्रोडक्ट है जिस पर जीएसटी नहीं लगेगा।
ताजा मामले में कमीशन एजेंट नितिन बापूसाहेब पाटिल ने आवेदन किया था। वह एग्रीकल्चरल प्रॉड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के अधिकारी की देखरेख और किसानों तथा ट्रेडर्स की मौजूदगी में नीलामी करता था। अगर नीलामी की कीमत किसानों को मंजूर होती थी तो वह इंटरमीडिएटरी का काम करता था।
इसके लिए उसे एपीएमसी नियमों के मुताबिक ट्रेडर्स से 3 फीसदी कमीशन मिलता था। एएआर को दिए आवेदन में पाटिल ने यह भी जानना चाहा था कि उनकी सर्विसेज को जीएसटी में छूट मिलेगी या नहीं। 28 जून, 2017 के नोटिफिकेशन के मुताबिक कोई भी फसल और पशुपालन (घोड़े को छोड़कर) एग्रीकल्चरल प्रॉड्यूस है।
लेकिन इन पर किसी तरह की प्रोसेसिंग नहीं होनी चाहिए जिससे इनके मूल रूप में कोई बदलाव हो। जीएसटी-एएआर ने कहा कि आवेदक यह साबित करने में नाकाम रहा कि किसान अपने खेतों में ही हल्दी पर स्पेशलाइज्ड प्रोसेस करते हैं।