भोपाल । शहर में कोरोना वायरस से संक्रमितों का आंकड़ा एक दिन कम होने के बाद पुन: बढ़ गया। बुधवार को भोपाल में कोरोना के 1307 नए मरीजों की पहचान हुई। कुल 6041 सैंपलों की जांच में इतने मरीज मिले हैं। इससे पहले मंगलवार को कोरोना के 5675 सैंपल की जांच में 1112 मरीज मिले थे। इस तरह संक्रमण दर 21 फीसदी रही। यानी शहर में हर पांचवा संदिग्ध पाजिटिव मिल रहा है। बुधवार को भोपाल में कोरोना के दो मरीजों की मौत हुई। बीते तीन दिनों में शहर में कोरोना के चलते 06 मरीजों की मौत हो चुकी है। शहर में फिलहाल कोरोना के सक्रिय मरीजों का आंकड़ा 10784 है। राहत की बात यह है कि इनमें से 10640 मरीज होम आइसोलेशन में रहते हुए अपना इलाज करा रहे हैं। बाकी मरीज निजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं।
कोरोना संक्रमण की शुरुआत से लेकर अभी तक भोपाल में एक लाख 61 हजार 976 मरीज मिल चुके हैं। हालाकि चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक जांच में जितने मरीज आ रहे हैं, हकीकत में मरीजों की संख्या चार से पांच गुना ज्यादा है। दरअसल, मरीज जांच कराने के लिए ही नहीं पहुंच रहे हैं। इस कारण सही आंकड़ा पता नहीं चल रहा है। उधर जबलपुर में एक पखवाड़े में दो बार 900 मरीजों का आंकड़ा पार करने के बाद कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। इतना ही नहीं कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या में भी बेतहाशा कमी आई है। पांच दिन के भीतर सक्रिय मरीजों का आंकड़ा 5 हजार 666 से घटकर 3 हजार 699 पर आ गया।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर उतार पर है। इस दौरान एक दिन के भीतर कोरोना के सर्वाधिक 970 मरीज 25 जनवरी को मिले थे। 23 जनवरी को भी नए मरीजों का आंकड़ा 910 रहा। इस बीच 25 जनवरी के बाद से कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार कम हो रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. रत्नेश कुरारिया का कहना है कि मरीजों की घटती संख्या को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि कोरोना की पीक का समय निकल चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन के कारण तीसरी लहर में संक्रमण का खतरा कम हुआ। बच्चों की सेहत की चिंता दूर हुई: जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. जीआर मोहंती ने बताया कि तीसरी लहर आने से पूर्व बच्चों की सेहत को लेकर संदेह जाहिर किया जा रहा था। तमाम एक्सपर्ट अनुमान लगा रहे थे कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक हो सकती है। जिसे देखते हुए जिलेभर के सरकारी व निजी अस्पतालों में बच्चों की उपचार व्यवस्था को और सुद्ढ़ किया गया। जिला अस्पताल विक्टोरिया में बच्चों के उपचार के लिए एचडीयू वार्ड बनाया गया। परंतु गनीमत रही कि कोरोना के कुल मरीजों में कम उम्र के बच्चों की संख्या दो फीसद के आसपास रही।