भोपाल राजधानी में स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के पूर्व डीन और मेडिसिन के जाने-माने विशेषज्ञ डॉक्टर एनपी मिश्रा का रविवार सुबह सिविल लाइन स्थित उनके निवास पर निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। पिछलेे दिनों जीभ में कैंसर की वजह से उनकी सर्जरी की गई थी, तबसे वह अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से पूरे चिकित्सा क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है। निधन की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने उनके निवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।
उल्लेखनीय है कि डॉ. मिश्रा को प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र का पितामह का जाता था। उनके पढ़ाए छात्र देश-दुनिया में ख्यात डॉक्टर हैं। डॉक्टर एनपी मिश्रा ने कई देशों में जाकर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े शोध पत्र प्रस्तुत किए थे। भोपाल में वर्ष 1984 में हुई भीषण गैस त्रासदी के दौरान मरीजों क इलाज में उनकी बड़ी भूमिका थी। चिकित्सकों को भी यह जानकारी नहीं थी कि घातक मिथाइल आइसासाइनाइड गैस के दुष्प्रभाव इलाज कैसे करना है। तब उन्होंने अमेरिका और दूसरे देश के डॉक्टरों से बात कर गैस के बारे में इलाज पूछा था। वह लगातार 2 से 3 दिन तक बिना सोए वह मरीजों के इलाज में जुटे रहे। उस समय वह जीएमसी में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर थे। डॉ मिश्रा की खासियत यह थी कि वह 90 साल की उम्र में भी शोध और चिकित्सा क्षेत्र में आ रही अद्यतन जानकारियों से रूबरू रहते थे। यही वजह है कि चिकित्सकों की हर कॉन्फ्रेंस ने आज भी उन्हें लेक्चर देने के लिए बुलाया जाता था। कोरोना संक्रमण के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन के प्रभावी होने की बात उन्होंने शुरुआत में ही कहीं थी।