उच्च शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 को लागू हुए तीन शैक्षणिक सत्र पूरे हो चुके हैं। चौथा सत्र शुरू हो गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा को कोर्स में शामिल किया जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग के एक सर्कुलर के अनुसार भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित 88 किताबें कॉलेजों की लाइब्रेरी में रखनी हैं। इन किताबों के लेखकों में संघ की विचारधारा के लोग होने के कारण कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है। हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का इस पर कहना है कि भारतीय ज्ञान परंपरा को छात्रों को पढ़ाने में गलत क्या है? कांग्रेस का जो बीज है, वो भारतीय नहीं है। इसके अलावा सवाल ये है कि जब कॉलेजों में छात्र पहुंचेंगे ही नहीं तो एनईपी के तहत किए जा रहे तमाम प्रयासों का क्या होगा? अभी सबसे बड़ी समस्या ये है कि नॉन अटैंडिंग कॉलेज की परंपरा बढ़ रही है। छात्र कक्षाओं में नहीं पहुंच रहे हैं। ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में इसको लेकर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम छात्र की उपस्थित को वैटेज देने का का काम कर रहे हैं।
अभी 75 प्रतिशत उपस्थिति देखी जाती है लेकिन दंड का कोई प्रावधान नहीं है। हम नहीं चाहते कि किसी बच्चे को परीक्षा से वंचित किया जाए या उसे स्वाध्यायी (प्राइवेट) करेें। इसलिए हम नया प्रावधान करने जा रहे हैं। ताकि बच्चों की उपस्थिति बढ़ा सकें। साल भर की उपस्थिति भी एक विषय के रूप में देखी जाएगी। छात्र जितने दिन उपस्थित रहेगा, उसके हिसाब से उसके अंक निर्धारित कर रिजल्ट में शामिल किए जाएंगे।
परमार ने कहा कि छात्र खुद तय करेगा कि उसे उपस्थित होना है या नहीं। यदि छात्र क्लास में नहीं आएगा तो उसका रिजल्ट बिगड़ेगा। उपस्थिति भी छात्र के रिजल्ट को प्रभावित करेगी। जल्द ही इसकी पूरी पॉलिसी बनाकर क्राइटेरिया तय कर जारी की जाएगी।
परमार बोले- छात्रसंघ चुनाव पर भी विचार करेंगे
एनईपी लागू हुए तीन साल हो चुके हैं। कॉलेजों में पर्याप्त फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इसे जमीनी स्तर पर कैसे इम्प्लीमेंट करेंगे?
-एनईपी को जमीनी स्तर पर लागू करने का काम किया जा रहा है। धीरे-धीरे क्रियान्वयन होगा। एक बार में सब कुछ नहीं हो सकता। कॉलेजों को फैकल्टी देने का भी काम किया जा रहा है। भर्ती की जा रही है। जहां खाली पद हैं, वहां अतिथि विद्वान रखे जाएंगे। पीएचडी किए हुए अतिथि विद्वानों को हम यूजीसी के नियमानुसार मानदेय देकर रख रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा कॉलेजों में चार वर्षीय यूजी कोर्स के तहत रिसर्च में छात्र आएं, इसके लिए भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। सभी कॉलेजों में साइंस, आर्ट्स और कामर्स आदि फैकल्टी के सब्जेक्ट शुरू करने के लिए काम किया जा रहा है।
यूजी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम और छात्रसंघ चुनाव को लेकर क्या कहेंगे?
-सेमेस्टर लागू करेंगे पर लेकिन इसमें अभी समय लग सकता है। इस पर काम किया जा रहा है। सिलेबस भी सेमेस्टर के हिसाब से तैयार करना होगा। किताबें भी चाहिए होंगी। छात्र संघ चुनाव पर विचार कर रहे हैं।
75% उपस्थिति इसलिए जरूरी ... परीक्षा में शामिल करने के लिए छात्र की कक्षाओं में 75 प्रतिशत उपस्थिति देखी जाती है। कुछ ही ऑटोनोमस कॉलेजों में इसे देखा जाता है। अन्य कॉलेज इस क्राइटेरिया को देखे बिना छात्रों के परीक्षा फार्म विवि को भेज देते हैं। इसलिए छात्र कक्षाओं में आना जरूरी नहीं समझते। बिना उसके स्कॉलरशिप सहित अन्य सभी लाभ मिलते रहते हैं।
प्रोफेसर के 4 हजार से ज्यादा पद खाली...
प्रदेशभर के करीब 568 सरकारी कॉलेजों में करीब 10 हजार में से 4 हजार से ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं। एमपीपीएससी से करीब 1600 पदों पर भर्ती कराई जा रही है। ये भर्ती विधानसभा चुनाव से पहले दिसंबर-2022 में निकाली गई थी। लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी। प्राचार्य के 90 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं। प्रभारी कॉलेज चला रहे हैं। बिना भवन बनाए स्कूलों के कैंपस में कॉलेज चलाए जा रहे हैं। वहीं सरकारी यूनिवर्सिटी में 70% से ज्यादा फैकल्टी के पद खाली हैं। रजिस्ट्रार नहीं है, प्रभारी रजिस्ट्रार से काम चलाया जा रहा है।