भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सिकल सेल एनीमिया रोग के उपचार और प्रबंधन में सबका साथ और सबका प्रयास ज़रूरी है। सरकार द्वारा ठोस प्रयास किए गए हैं। इन प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए समाज का सहयोग भी आवश्यक है। रोग सर्वेक्षण का कार्य तीव्र गति से हो, इसके लिए सरकारी और गैरसरकारी सभी स्तरों से प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि वह स्वयं भी अलीराजपुर प्रवास के दौरान सिकल सेल मिशन के तहत हो रहे कार्यों की जानकारी प्राप्त करेंगे।
राज्यपाल श्री पटेल सिकल सेल एनीमिया रोग उपचार और प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर राजभवन में चर्चा कर रहे थे। इस अवसर पर मंत्री लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रभुराम चौधरी, राज्यमंत्री आयुष स्वतंत्र प्रभार राम किशोर कांवरे, राज्यपाल के अपर सचिव मनोज खत्री एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रदेश में जनजातीय जनसंख्या का एक बड़ा भाग सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक रोग से प्रभावित होने के संकेत मिले हैं। यह एक अत्यंत पीड़ादायक और जानलेवा रोग है। रोग की जानकारी जितनी कम आयु में होगी, उतना बेहतर उपचार प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के चिकित्सकों ने गर्भावस्था में सिकल सेल का पता चलने पर उपचार की संभावनाओं को तलाशा है। यदि जन्म के 78 घंटों में रोग की जानकारी हो जाए तो अंग विकृतिकरण को भी रोकने की संभावनाएँ बताई है। इसलिए जरूरी है कि रोग सर्वेक्षण का कार्य तेज गति और व्यापकता के साथ किया जाए। उन्होंने कहा कि रोग के संबंध में व्यापक जन जागरूकता के प्रयास ज़रूरी है। इस कार्य में प्रदेश के विश्वविद्यालयों को भी सहयोग के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि रोग सर्वेक्षण कार्य में आंगनवाड़ी केंद्रों को भी जोड़ा जाना चाहिए।
केंद्र की कार्यकर्ता को आवश्यक प्रशिक्षण देकर गर्भवती महिलाओं की जाँच कार्य में सहयोग लिया जाए। श्री पटेल ने सिकल सेल एनीमिया रोगी 30 वर्षीय युवक के साथ चर्चा का जिक्र करते हुए बताया कि उचित जीवनशैली, आहार और नियमित औषधि के द्वारा स्वस्थ और बेहतर जीवन जिया जा सकता है। जरूरत सिकल सेल एनीमिया के बारे में उचित काउंसलिंग की है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में रोग को जड़ मूल से समाप्त करने की क्षमता है। सिकल सेल रोग के उपचार में आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी अन्य चिकित्सा पद्धतियों द्वारा शोध और उपचार की संभावनाओं पर शोध किया जाना चाहिए।
राज्यपाल को बताया गया कि होम्योपैथी महाविद्यालय द्वारा शहडोल, मंडला, डिण्डोरी और छिंदवाड़ा जिलों में विगत एक वर्ष से शोध का कार्य किया जा रहा है। कुल 21 हजार 5 सौ व्यक्तियों की जाँच में सिकल सेल वाले 1271 का उपचार होम्योपैथी में किया जा रहा है। उपचाराधीन रोगियों में एनीमिया, दर्द और सूजन में कमी आई है। रक्तदान की आवश्यकता भी कम पड़ी है। उन्होंने बताया कि इन परिणामों का आगामी एक वर्ष में परीक्षण कर अध्ययन के परिणाम प्राप्त किए जाएंगे। आयुष विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश के सभी सात शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालयों में सिकल सेल रोग के अनुसंधान की परियोजना तैयार की गई है। आयुष चिकित्सकों और आई.सी.एम.आर. जबलपुर के साथ समन्वय कर पायलट प्रोजेक्ट प्रारंभ करने की कार्रवाई प्रचलित है। चिकित्सा विभाग के द्वारा बताया गया कि अलीराजपुर और झाबुआ में 8 लाख 26 हजार शून्य से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों और गर्भवती माताओं की जाँच का पायलट प्रोजेक्ट संचालित है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जाँच कार्य किया जा रहा है। जाँच कार्य की गति बढ़ाने के लिए निजी संस्था को शीघ्र ही जोड़ा जाएगा। जन-जागरूकता का कार्य जन अभियान परिषद द्वारा किया जा रहा है। जैनेटिक काउंसलिंग कार्ड का वितरण प्रारम्भ हो गया है। स्कूलों में जन-जागरूकता के कार्य बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत किए गए है। सिकल सेल पोर्टल गठित कर एंड-टू-एंड मॉनीटरिंग की भी व्यवस्था की गई है।