तेल अवीव: इजरायल और हमास के युद्ध को एक साल होने वाले हैं। 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर अचानक हमला कर दिया था। इसके बाद पलटवार में इजरायल की ओर से लगातार गाजा पट्टी पर हमास को खत्म करने के लिए हमला किया गया। हमास तो नहीं खत्म हुआ, लेकिन गाजा पूरी तरह खंडहर बन गया। हमास का चीफ इस्माइल हानिया मारा गया और अब याह्या सिनवार के हाथ में हमास की कमान है, जो खुद गाजा पट्टी की गहरी सुरंगों में छिपा है। इजरायल हमास का युद्ध लेबनान, यमन से लेकर ईरान तक पहुंच गया। लेबनान के हिजबुल्लाह की ओर से लगातार उत्तरी इजरायल पर किए गए हमले के कारण 60 हजार से ज्यादा इजरायली अपने घरों से भागे हुए हैं। वहीं लेबनान में अब इजरायल की सीधी लड़ाई चल रही है। आइए जानें इस एक साल में इजरायल को मिले सबसे बड़े 5 झटकों के बारे में।दो मोर्चों पर लड़ाई
इजरायल के लिए इस एक साल की सबसे बुरी बात यह है कि अभी भी लेबनान से लगने वाली उत्तरी सीमा के निवासी अपने घरों में वापस नहीं लौट पाए हैं। इसके अलावा हमास के चंगुल से वह सभी बंधकों को भी वापस लाने में नाकाम रहा है। हिजबुल्लाह के कारण 60 हजार इजरायली लोग घर छोड़कर भाग गए हैं और इजरायल दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है।
बंधकों को नहीं ला पाए
इजरायल सभी बंधकों को हमास के चंगुल से छुड़ाने में कामयाब नहीं रहा। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इजरायल किसी भी समझौते पर तैयार नहीं हुआ। साथ ही हमास पर ऐसा सैन्य दबाव भी नहीं बनाया जा सका जिससे वह सरेंडर को मजबूर हो जाए। हमास पूरे गाजा के खंडहर बनने के बाद भी अभी एक गुरिल्ला संगठन की तरह काम कर रहा है। आम तौर पर अगर आतंकियों को सेना से नुकसान होता है तो वे आगे नहीं बढ़ते। बल्कि वह खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। इस हिसाब से हमास का गाजा में खुद को बचाए रहना ही एक जीत है। यही कारण है कि याह्या सिनवार किसी भी सौदे पर तैयार नहीं होता।
हालांकि वह अभी भी यह मानता है कि इजरायल युद्ध हार जाएगा और उसे हमास की शर्तों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यही मुख्य कारण है कि कोई बंधक डील नहीं हो पाई है। लेबनान में हिजबुल्लाह को मिले झटके के बाद संभव है कि हमास चीफ सिनवार का विचार भविष्य में बदल जाए। अगर ईरान एक युद्ध में शामिल नहीं हुआ तो संभव है कि सिनवार एक नई डील पर बातचीत के लिए तैयार होगा।
हमास का नहीं दे सके विकल्प
गाजा के आम लोगों पर हमास का नियंत्रण है। इजरायल को गाजा में जाने वाली मानवीय सहायता पर इजरायल का नियंत्रण नहीं है। अगर इसपर नियंत्रण होता तो IDF को अपना लक्ष्य पाने में आसानी होती। एक्सपर्ट्स इसकी विफलता के लिए पीएम नेतनयाहू और सुरक्षा मंत्रिमंडल को जिम्मदार मानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्होंने वैकल्पिक नागरिक सरकार स्थापित करने के तरीके खोजने के लिए रक्षा मंत्री योव गैलेंट और IDF की ओर से पेश की गई हर पहल का विरोध किया। नेतन्याहू और उनके गठबंधन सहयोगियों ने वैचारिक आधार पर फिलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ सहयोग का विरोध किया। इस कारण अब गाजा में हमास के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है।
अमेरिका जैसे सहयोगियों से लड़ाई
पिछले एक साल में कई ऐसे मौके आए हैं जब इजरायल के उसके सबसे बड़े सहयोगी अमेरिका से मतभेद हुए। अमेरिका पर लगातार आरोप लगाया गया कि वह इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों को रोक रहा है। अमेरिका ने गाजा में मानवीय सहायता जाने को लेकर जोर दिया, जिससे इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कम दबाव झेलना पड़ा। लेकिन अमेरिका की ओर से सीजफायर की डिमांड होती रही।
दुनिया का नहीं मिला साथ
हमास के हमले के बाद पूरी दुनिया इजरायल के साथ खड़ी थी। लेकिन जब उसने गाजा पर हमला शुरू किया तो पूरी दुनिया का समर्थन खोने लगा। इजरायल कहता रहा है कि वह अपने नागरिकों की रक्षा के लिए लड़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद बहुत से इजरायली कनफ्यूज हैं कि आखिर दुनिया की राय उन्हें लेकर अचानक क्यों बदल गई। एक्सपर्ट्स मानते है कि यह पब्लिक डिप्लोमेसी की विफलता है। पश्चिमी देशों में बढ़ते मुस्लिमों के प्रभाव के कारण इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन हुए।