भोपाल । मप्र में बिजली की दरों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 8.71 प्रतिशत बढ़ाने की नई याचिका पेश की गई है। मप्र नियामक आयोग द्वारा पुरानी याचिका लौटाने के बाद मप्र विद्युत वितरण कंपनियों की होल्डिंग कंपनी मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने पुरानी याचिका को नया बता कर पेश किया है। इस याचिका में भी 3915 करोड़ रुपए की अतिरिक्त जरूरत की पूर्ति के लिए बिजली दरों में 8.71 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव पेश किया है। नियामक आयोग बुधवार को मामले की प्रारंभिक सुनवाई करेगा। इसके बाद याचिका का प्रकाशन कर दावा-आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी।
बिजली कंपिनयों की ओर से दिसंबर में 2022-23 के लिए याचिका लगाई गई थी। पर मप्र विद्युत नियामक आयोग ने नियमों में त्रुटि का हवाला देते हुए याचिका वापस करते हुए नए सिरे से लगाने का निर्देश दिया था। दरअसल याचिका में विद्युत अधिनियम 2021 के ड्राफ्ट के अधीन तैयार किया गया था। जबकि याचिका दायर करने के बाद अधिनियम लागू हो चुका था। याचिका में इसका उल्लेख नहीं किया गया था। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कुछ लोगों ने कर ली थी। इसे देखते हुए नियामक आयोग को कदम खींचने पड़े थे।
बिना किसी फेरबदल के दायर कर दी नई याचिका
बिजली कंपनियों की ओर से पुरानी याचिका को ही नए सिरे से नियामक आयोग के समक्ष पेश की गई है। कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपये की जरूरत बताई है। जबकि आय 3915 करोड़ रुपए कम हो रही है। इसकी भरपाई के लिए कंपनी ने बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। याचिका में वित्तीय वर्ष 2019-20 के राजस्व लक्ष्य में कंपनी को करीब दो हजार करोड़ रुपये की कम आय हुई। इसे भी कंपनी इस बार बिजली उपभोक्ताओं से वसूलने की तैयारी में है। यहीं नहीं बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4981 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होना दर्शाया है। यह राशि अनुमान और वास्तविक खपत का अंतर है। इसे भी आम उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए अलग से याचिका लगाई है।
इस तरह बिजली की दर बढ़ाने की तैयारी
कृषि में 10.61 प्रतिशत।
घरेलू बिजली में 9.97 प्रतिशत।
वाणिज्यिक में 4.44 प्रतिशत।
निम्नदाब औद्योगिक में 5.11 प्रतिशत।
एक साल में इस तरह बढ़ाई बिजली की दर
17 दिसंबर 2020- 1.98 प्रतिशत
30 जून 2021- 0.63 प्रतिशत
01 जनवरी 2022- 3.29 प्रतिशत (एफसीए के रूप में)
01 अप्रैल 2022-23- 8.71 प्रतिशत (प्रस्तावित )
अनाप-शनाप खर्च को बनाया है आधार
बिजली मामले के जानकार रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने बिजली दर बढ़ाने का विरोध किया है। उनका दावा है कि कंपनियों ने कागजों में बने बिजली घर के लिए 470 करोड़ रुपए, नान सोलर खरीदी के लिए 573 करोड़, बिजली हानि में बिना सुधार किए 378 करोड़ रुपए, कागजों में बनी वितरण योजना पर 109 करोड़, रेगुलेशन के तौर पर 461 करोड़, सब्सिडी पर 1300 करोड़ और खराब कर्ज 450 करोड़ रुपए और सोलर ऊर्जा 173 करोड़ बेजा खर्च दर्शाया है। ये सारी योजनाएं अभी कागजों में है। पर उपभोक्ताओं पर इसका भार डाला जा रहा है। ये सारा जोड़ 3916 करोड़ रुपए होता है।
इस तरह बिजली की दर हो जाएगी महंगी
खर्च यूनिट में प्रस्तावित दर रुपए मौजूदा रेट अंतर
0-50 3.50 3.25 25 पैसे
51-100 4.50 4.13 33 पैसे
101-150 5.55 5.05 50 पैसे
151-300 7.10 6.40 70 पैसे
300 से अधिक 7.32 6.65 67 पैसे