आईएएस कुलपति भी नहीं करा पाए डॉ. गुप्ता को नोटिस तामील
जबलपुर । मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्याल (एमयू) के विवादास्पद कुलसचिव तत्कालीन ओएसडी आयुष विभाग एवं वर्तमान में एमयू के उपकुलसचिव मूलत: होम्योपैथी चिकित्सक डॉ जे के गुप्ता का रसूख क्या है इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयुष विभाग की प्रमुख सचिव करलिन खोगवार देशमुख द्वारा उन्हें भेजा गया नोटिस तामील कराने का वर्तमान प्रबंधन भी सामथ्र्य नहीं जुटा पाया। श्रीमति देशमुख को नोटिस ८ सितंबर २०२१ के बाद दो बार प्रेषित किया गया लेकिन तामील नहीं हुआ। अंतत: उन्हें नोटिस तामील कराने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मोहम्मद सुलेमान के माध्यम से नोटिस तामील कराने विवश होना पड़ा।
श्रीमति देशमुख द्वारा १४ जनवरी २०२२ को सुलेमान के माध्यम से प्रेषित पत्र में कहा गया है कि डॉ. गुप्ता को आयुष विभाग द्वारा ८ सितंबर २०२१ आरोप पत्रादि जारी किए गए थे तथा कुलसचिव कराकर पावती ३ दिवस में उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया था। परंतु आयुष विभाग द्वारा दो बार स्मरण कराए जाने के उपरांत कुलसचिव द्वारा आज दिनांक तक आरोप पत्र तामील कराने की जानकारी नहीं दी है। एसीएस से अनुरोध किया गया है कि एमयू के कुलसचिव को डॉ. जे. के. गुप्ता को आरोप पत्रादि तामील कराकर आयुष विभाग को सूचित करने हेतु निर्देशित करें। करलिन खोंगवार देशमुख मप्र शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान १४ जनवरी २०२२ को पत्र लिखा।
आरोप पत्र में दी समझाईश.............
होम्योपैथी चिकित्सक एवं उप कुलसचिव मप्र आयुविज्ञान विश्वविद्यालय डॉ. जे. के. गुप्ता की विभागीय जांच के विषय में लिखित पत्र में कहा गया है कि मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम १९६६ के नियम १४(३) के अंतर्गत आपके विरुद्ध विभागीय जांच की जानी है उनका उल्लेख आरोप पत्र में किया गया है इसके साथ ही अभिकथन पत्रक एवं साक्ष्य अभिलेख की सूची भी संलग्र की गई। डॉ. गुप्ता को लिखित पत्र में कहा गया है कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि आप इस आरोप पत्र के प्राप्त होने के १५ दिवस के अंदर अपने बचाव में प्रतिवाद का लिखित कथन इस विभाग को प्रस्तुत करें इसके साथ ही यह बताएं कि क्या आप इस जांच प्रकरण में व्यक्तिगत सुनवाई चाहते हैं? यदि अपने बचाव में किन्हीं अभिलेखों को प्रस्तुत करना चाहते हैं या गवाहों को बुलाना चाहते हैं तो उनकी सूची, नाम व पूर्ण पते सहित प्रस्तुत करें। यदि आरोप पत्र के साथ संलग्न अभिलेखों की सूची में उल्लेखित अभिलेखों का अवलोकन करना चाहते हैं तो पत्र प्राप्ति के १० दिन के भीतर कार्यालयीन समय पर विभाग में संपर्क करें। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जांच केवल उन्हीं आरोपों के संबंध में की जाएगी जो स्वीकार नहीं किए जाते हैं। अत: आरोप स्वीकार अथवा अस्वीकार करना चाहिए। यदि बचाव में लिखित प्रतिवाद निर्धारित समयाविधि यानि १५ दिनों अंदर प्राप्त नहीं होता है तो डॉ. गुप्ता के विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जा सकेगी।
लगाए गए गंभीर आरोप...............
आरोप पत्र में डॉ. गुप्ता पर आरोप है कि तत्कालीन ओएसडी संचालनालय रहते हुए उनके द्वारा जबलपुर में लालमाटी शासकीय होम्योपैथी औषधालय में पदस्थ डॉ. मनोज यादव का तबादला अवधि का अवकाश नियम विरुद्ध स्वीकृत करने के लिए संभागीय आयुष अधिकारी को निर्देशित किया। डॉ. गुप्ता पर दूसरा आरोप यह है कि तबादलों पर प्रतिबंध लागू होने के बावजूद इस अवधि में स्वयं अपने हस्ताक्षर से निरंतर अनाधिकृत एवं अवैध तबादला आदेश जारी किए। यही नहीं डॉ. गुप्ता द्वारा तबादला आदेशों पर आयुक्त आयुष का अनुमोदन नहीं लिया गया एवं सीधे नोटशीट विभागीय मंत्री को प्रेषित की गई जो नियम विरुद्ध है। डॉ. गुप्ता पर इसके साथ ही होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी जेपी हॉस्पिटल डॉ. अशोक पचौरी का १० जुलाई २०१७ को स्थानांतरण कुरवई, विदिशा किया गया था। डॉ. जे. के. गुप्ता ने डा. पचौरी का ११ दिसंबर २०१७ को स्थानांतरण कबीटपुरा भोपाल कर दिया। इस तरह शासकीय आदेश में अपने स्तर पर संशोधन कर डॉ. गुप्ता ने स्वयं को अनुशासनात्मक कार्रवाई का पात्र बना लिया। इसी तरह २४ अक्टूबर २०१६ को शासकीय यूनानी औषधालय सागर के कंपाउंडर रमाकांत अहिरवार को पद के विरुद्ध अपने स्तर पर पदस्थ कर भी डॉ. गुप्ता पर विधि विरुद्ध अंर्तपैथी पदस्थपना का आरोप है। मप्र शासन के आयुष विभाग के उप सचिव पंकज शर्मा के द्वारा प्रेषित आरोप पत्र में पांच शासकीय गवाहों का भी हवाला दिया गया है।