अभी बंदियों को न्यायालय की अनुमति से इन कामों के लिए पैरोल मिल पाती थी, वह भी काम के अनुसार दो-चार घंटे के लिए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में आदर्श कारागार अधिनियम बनाया था। इसे सभी राज्यों को भेजकर आवश्यकतानुसार संशोधन के बाद क्रियान्वित करने के लिए कहा गया था।
इस संबंध में इसी वर्ष मानसून सत्र में विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत किया गया था। प्रदेश सरकार ने कुछ परिवर्तन के साथ इसे लागू कर दिया है। अधिनियम में दूसरा बड़ा परिवर्तन यह किया गया है कि वर्ष में अधिकतम 42 दिन मिलने वाले सामान्य पैरोल की अवधि अब सजा से बाहर कर दी गई है। यानी बंदी जितने दिन पैरोल पर रहेगा, उतने दिन अतिरिक्त सजा काटनी होगी। जेल मुख्यालय का नाम भी जेल संचालनालय कर दिया गया है। हालांकि, संचालनालय में बाकी व्यवस्थाएं मुख्यालय की तरह ही होंगी।
सुधारात्मक सेवाओं के अंतर्गत अब गरीब बंदियों के जेल से रिहा होने के बाद उनके पुनर्वास में सहायता की जाएगी। उदाहरण के तौर पर किसी बंदी ने जेल में सिलाई-बुनाई में प्रशिक्षण लिया है तो सिलाई मशीन खरीदने के लिए उसे अनुदान या कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा।