तेल अवीव: एक साल पहले 7 अक्टूबर, 2023 को हथियारों से लैस हमास लड़ाकों ने इजरायल में घुसपैठ करते हुए अंधाधुंध फायरिंग की थी और करीब 1200 लोगों को बेरहमी से मार डाला था। हमास के इस हमले ने ना सिर्फ इजरायल बल्कि दुनिया को चौंका दिया था। इजरायल ने इस बड़ी सुरक्षा विफलता के तुरंत बाद गाजा में युद्ध का बिगुल फूंक दिया। एक साल में इस युद्ध ने सिर्फ इजरायल और गाजा ही नहीं पूरे पश्चिम एशिया में काफी कुछ बदल दिया है। ऐसे में ये सवाल खासतौर से पूछा जा सकता है कि याह्या सिनवार और हमास को हमले से क्या हासिल हुआ।फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट कहती है कि हमास प्रमुख याह्या सिनवार ने इजरायल में हमले के लिए पूरी तैयारी की थी और साजिश के तहत ये अटैक कराया था। हमास ने गाजा में एक बड़ा सुरंग नेटवर्क तैयार किया था, जो 300 मील से ज्यादा लंबा था। वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन के लिए आम नागरिकों को सुरक्षा ढाल की तरह इस्तेमाल करने का प्लान बनाया गया। इस सब तैयारी के बाद हमास प्रमुख याह्य सिनवार ने इजरायली जमीन पर हमला करके आग भड़काई, जिससे वह फायदा लेना चाहता था लेकिन इसका अंजाम शायद वैसा नहीं हुआ, जैसा उसने सोचा था। इजरायल नेअपने हिसाब से एक स्क्रिप्ट लिखी और बढ़त बना ली।
सिनवार ने क्या सोचकर शुरू किया युद्ध
रिपोर्ट कहती है कि इजरायल के खिलाफ सिनवार का युद्ध दो धारणाओं पर आधारित था। एक उसे उम्मीद थी कि ईरान अपने उद्देश्य के लिए 'प्रतिरोध की धुरी' का पूरा समर्थन करेगा। दूसरा ये कि इजरायल का जवाबी हमला भारी अंतरराष्ट्रीय आक्रोश पैदा करेगा, जिससे अमेरिका भी कदम उठाने को मजबूर हो जाएगा। ये सिनवार का अरब नेताओं को इजरायल के खिलाफ भड़काने और मुस्लिम दुनिया को साथ लाने के लिए लगाया दांव भी हो सकता है। हालांकि ये साफ है कि उसकी तिकड़म ठीक नहीं बैठी।
सिनवार की सोच के उलट इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इस संकट को इजरायल के सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक अभूतपूर्व अवसर माना। इजरायल ने बीते एक साल में महत्वपूर्ण सामरिक और रणनीतिक जीत हासिल की है। गाजा और लेबनान से आगे बढ़ते हुए नेतन्याहू ईरान में शासन परिवर्तन के बारे में सार्वजनिक रूप से टिप्पणी कर रहे हैं। कहा जा सकता है कि युद्ध के एक साल बाद आज इजरायल लाभ में दिख रहा है।
इजरायल क्यों लाभ में दिख रहा है
इजरायल के इस एक साल के युद्ध में अरब दुनिया में कोई निरंतर और स्वतःस्फूर्त विरोध नहीं हुआ है। किसी भी सरकार ने इस मुद्दे पर इजरायल के साथ संबंध नहीं तोड़े। यहां तक कि आर्थिक परिणाम भी सीमित रहे हैं। वहीं इजरायल को ना सिर्फ गाजा बल्कि लेबनान में भी कामयाबी मिली है। इजरायल ने लेबनान में हसन नसरल्लाह को खत्म कर दिया है। गाजा और लेबनान के बाद अब ईरान पर भी इजरायल भारी पड़ता दिख रहा है।