आज धनतेरस है। इस अवसर पर लोग बर्तन भी खरीदते हैं। इस दिन हर शहर के बर्तन बाजार में खरीदारों की भीड़ लगी होती है। स्टेनलेस स्टील के बर्तन बनाने की काफी जटिल प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में आधुनिक मशीनों का तो उपयोग होता है, ट्रेंड मैनपावर भी चाहिए होता है। हम आपको बता रहे हैं कि फैक्ट्री में स्टेनलेस स्टील के बर्तन किस तरह से बनाए जाते हैं।स्टील एक ऐसा मिश्र धातु है जिसमें अधिकांश मात्रा लोहे की है और 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत तक कार्बन मौजूद है। कार्बन के अलावा, जरुरत के अनुसार इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैनेडियम और टंगस्टन भी मिलाये जाते हैं और ये सभी पदार्थ मिलकर इस मिश्र धातु को ना केवल कठोरता प्रदान करते हैं, बल्कि उसे मजबूत और टिकाऊ भी बनाते हैं। ऐसा स्टील जिसमें जंग ना लगे, उसे स्टेनलेस स्टील कहा जाता है। ये स्टील का ऐसा प्रकार है जो हवा, आर्गेनिक और इन-ऑर्गेनिक एसिड्स से भी खराब नहीं होता है। साधारण स्टील की तुलना में स्टेनलेस स्टील ज्यादा ताप सह सकता है। इसके लिए स्टील में क्रोमियम मिलाया जाता है। स्टेनलेस स्टील बनाने के लिए स्टील में 15-20% क्रोमियम और 8-10% निकेल मिलाया जाता है। कई बार लोहे में ताम्बा, कोबाल्ट, टाइटेनियम, गंधक और नाइट्रोजन मिलाकर भी स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है।
स्टेनलेस स्टील के अविष्कार का किस्सा काफी रोचक है। सन 1871 में हैरी ब्रियरले, बंदूक के बैरल के लिए ऐसा कुछ बनाना चाह रहे थे जो पानी से भी ख़राब ना हो और किसी केमिकल का भी उस पर कोई प्रभाव ना पड़े। उनकी इस कोशिश के चलते, उन्होंने अनजाने में और ग़लती से एक नयी प्रकार की मिश्र धातु बना डाली, जो थी स्टेनलेस स्टील। आज इसके बनाये बर्तन दुनिया भर में चलन में हैं।
स्टेनलेस स्टील बनाने वाले प्लांट में एसएस शीट का रोल बनाया जाता है। उसे बर्तन बनाने वाली फैक्ट्री में भेजा जाता है। वहां उसकी कटिंग होती है। उस प्लेट से ही थाली, कटोरी, भगोने या अन्य बर्तन के आकार के शीट की कटिंग की जाती है। शीट की कटिंग के लिए ऑटोमेटिक मशीनें भी आ गई हैं। कहीं हाथ से भी काम होता है।
एक बार एसएस शीट की कटिंग हो जाने के बाद उसे बर्तन बनाने वाली मशीन से प्रेस किया जाता है। यदि उस शीट से भगोना बनाना है तो मशीन में उसी आकार का डाई लगाया जाता है। यदि उससे कटोरा या कटोरी या अन्य बर्तन बनाना है तो उसी तरह का डाई मशीन में फिट किया जाता है। उससे शीट पर प्रेसिंग होती है तो उस तरह का बर्तन तैयार हो जाता है।
मशीन में प्रेस करने के बाद जो बर्तन तैयार होता है, उसे देखेंगे तो उसका आप कभी उपयोग ना करें। यह बिल्कुल काला या बदरंग होता है। फिर उसकी पॉलिश एक अलग मशीन पर की जाती है। उसे कॉटन के कपड़े से रगड़ा जाता है। इसके बाद बर्तन चमकने लगते हैं।
एक बार पॉलिश के बाद बर्तन चमकाने के बाद उस पर पॉलीथीन का कवर चढ़ाया जाता है। फिर उसकी कार्टून में पैकिंग की जाती है। हालांकि पैकिंग इस बात पर तय होती है कि उसे किस कंपनी ने बनाया और उसकी बिक्री कैसे होगी। यदि कोई बड़ी कंपनी का बर्तन हो तो उसकी पैकिंग भी शानदार करते हैं।