नई दिल्ली: शेयर बाजार में हालिया गिरावट के पीछे जहां पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और चीन में उठाए गए कदमों का हाथ रहा है, वहीं कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों ने भी मार्केट सेंटिमेंट कमजोर किया है। मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनियों की बिक्री सालभर पहले की इसी तिमाही के मुकाबले जहां लगभग जस की तस रही, वहीं कच्चे माल की लागत सहित दूसरे पहलुओं से जुड़ा खर्च बढ़ गया। इसकी आंच मुनाफे पर आई।बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘FY25 की दूसरी तिमाही में कॉरपोरेट परफॉर्मेंस का कुल किस्सा यह रहा कि सेल्स ग्रोथ जहां लगभग जस की तस रही, वहीं कंपनियों का खर्च बढ़ गया, जिसका असर उनके मुनाफे पर पड़ा है।’ बैंक ऑफ बड़ौदा रिसर्च के मुताबिक, 502 लिस्टेड प्रमुख कंपनियों के सैंपल की सेल्स वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 6.8% बढ़कर 10 लाख 39 हजार 256 करोड़ रुपये थी, जो मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7% बढ़ी और आंकड़ा 11 लाख 12 हजार 434 करोड़ रुपये रहा।
इनपुट कॉस्ट
वहीं, इनपुट कॉस्ट सहित इन कंपनियों का खर्च मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10.3% बढ़ा, जो सालभर पहले की इसी तिमाही में 3.6% घटा था। इसके चलते नेट प्रॉफिट 4.1% ही बढ़ सका, जो वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 37.8% बढ़ा था। सबनवीस ने कहा, ‘नेट प्रॉफिट ग्रोथ कम रहने के पीछे सालभर पहले की ऊंची ग्रोथ के बेस इफेक्ट के अलावा खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी का हाथ रहा।’इस सैंपल से बैंकों को हटाने पर बाकी 479 कंपनियों की सेल्स और प्रॉफिट ग्रोथ और भी कम दिखती है। दूसरी तिमाही में सेल्स ग्रोथ 5.7% रही। हालांकि यह सालभर पहले की इसी तिमाही में दर्ज 1.3% ग्रोथ से अधिक रही। वहीं, सालभर पहले खर्च जहां 5.2% घटा था, वहीं इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 10.2% बढ़ गया। इसका असर मुनाफे पर पड़ा। सालभर पहले के 91 हजार 739 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफिट के मुकाबले सिर्फ 1.2% की बढ़त हो पाई और आंकड़ा 92812 करोड़ रुपये रहा।
कंपनियों की इनकम
वहीं, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 435 कंपनियों के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनियों की आमदनी 5-7% बढ़ने का अनुमान है, जो पिछले 4 वर्षों में सबसे कम है। क्रिसिल के रिसर्च डायरेक्टर पूषण शर्मा के मुताबिक, इंडस्ट्रियल कमोडिटीज, इनवेस्टमेंट और कंस्ट्रक्शन से जुड़े सेक्टरों की कंपनियों की आमदनी केवल 1% बढ़ने का अनुमान है। हालांकि इस सैंपल की प्रॉफिटेबिलिटी 70 से 90 बेसिस पॉइंट्स बढ़ने का अनुमान है।
एक्सिस सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ प्रणव हरिदासन के मुताबिक, ‘इंडियन इक्विटी मार्केट की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी पर हमारा भरोसा बना हुआ है, लेकिन चूंकि मौजूदा वैल्यूएशन इतने ऊंचे हैं कि और बढ़ने की गुंजाइश सीमित है, लिहाजा आने वाले समय में मार्केट से बेहतर रिटर्न में कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी की अहम भूमिका होगी।’