पद्मश्री से सम्मानित, वरिष्ठ साहित्यकार दीदी मालती जोशी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। आपकी कृतियां साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं।
भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए बताया कि पचास से अधिक हिंदी और मराठी कथा संग्रहों की लेखिका मालती जोशी हिंदी की सबसे लोकप्रिय कथाकारों में मानी जाती हैं।
वे अपने कथा कथन की विशिष्ट शैली के लिए जानी जाती रहीं। उनके साहित्य पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुए हैं। उनके कथा संसार में भारतीय परिवारों, रिश्तों और मूल्यबोध की गहरी समझ दिखाई देती है।
इंदौर में रहने वाले दिघे परिवार में जन्मी मालती जोशी यहां करीब ढाई दशक रहीं। इंदौर से ही उनकी साहित्यिक यात्रा भी शुरू हुई। शहर के मालव कन्या विद्यालय में स्कूली शिक्षा हुई और फिर आर्ट्स विषय लेकर उन्होंने होलकर कालेज में प्रवेश लिया। होलकर कॉलेज से बीए और हिंदी में एमए करते वक्त ही उन्होंने लेखन कर्म आरंभ कर दिया था।
शुरुआती दौर में वे कविताएं लिखा करती थीं। उनकी कविताओं से प्रभावित होकर उन्हें मालवा की मीरा नाम से भी संबोधित किया जाता था। मालती जोशी के पुत्र सच्चिदानंद जोशी बताते हैं कि उन्हें इंदौर से इतना लगाव था कि वे अक्सर कहा करती कि इंदौर जाकर मुझे सुकून मिलता है क्योंकि वहां मेरा बचपन बीता, लेखन की शुरुआत वहीं से हुई और रिश्तेदार व सहपाठी भी वहीं हैं। यह शहर उनकी रग-रग में रचा बसा हुआ था।