हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को दिए सही तरीके से जांच के निर्देश
भोपाल । कानूनी प्रविधानों के दुरुपयोग का बिंदु सामने आने पर जबलपुर हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए सख्त नाराजगी जताई। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने सीहोर के पुलिस अधीक्षक को सही तरीके से जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दे दिए। मामला दुष्कर्म के आरोपित की जमानत अर्जी पर सुनवाई से संबंधित था। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस मामले में पीड़िता ने पहले दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराई थी। बयान में भी यही बात दोहराई। लेकिन जब मामला ट्रायल कोर्ट पहुंचा तो वह पहले लगाए गए आरोप व दर्ज कराए गए बयान से पलट गई। उसने कहा कि उसने कतिपय दबाव में झूठा आरोप लगाया था। हाई कोर्ट ने इस जानकारी पर गौर करने के बाद तल्ख टिप्पणी में कहा कि इस तरह का रवैया कानून का माखौल उड़ाने वाला है। लिहाजा, सीहोर के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि वे मामले की समुचित जांच सुनिश्चित करें। यदि जांच में यह तथ्य रेखांकिंत हो कि पीड़िता ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि गैर जमानती मामला बनता है तो उसके लिए भी पुलिस कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने एसपी को 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। सीहोर के रेहटी पुलिस में गगन अग्रवाल के खिलाफ पीड़िता ने दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोपित की ओर से अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया गया। आवेदक की ओर से दलील दी गई िक ट्रायल कोर्ट में जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान पीड़िता ने हलाफनामे पर कहा कि आवेदक ने दुष्कर्म नहीं किया बल्कि उसने पुलिस के कहने पर रिपोर्ट दर्ज कराई। वहीं शासन की ओर से पैनल लायर प्रकाश गुप्ता ने कहा कि पीड़िता ने एफआइआर और सीआरपीसी की धारा 161 व 164 के तहत बयान दर्ज कराने में भी दुष्कर्म का आरोप लगाया था। बाद में पीड़िता अपने बयान से मुकर गई। हाई कोर्ट ने कहा कि इससे उन लोगों को सबक मिलेगा, जो कानून का दुरुपयोग करते हैं और न्यायालयों का कीमती समय खराब करते हैं।सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपित को जमानत का लाभ तो दे दिया, लेकिन कानून के प्रविधानों के दुरुपयोग को रोकने के मकसद से मामले की जांच के निर्देश दिए।
सुदामा नर-वरे/10 फरवरी 2022