अस्पताल में 30 प्रतिशत फैकल्टी के पद खाली
भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) हृदय और उदर रोग विशेषज्ञों का अभाव हो गया है1 इससे यहां आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड रहा है। हृदय रोग जैसे अहम विभाग में भी कोई विशेषज्ञ नहीं है। यहां एकमात्र चिकित्सक एक साल की पढ़ाई करने के लिए त्यागपत्र देकर चले गए हैं। उसके बाद संविदा पर हृदय रोग विशेषज्ञ की भर्ती के लिए चार बार साक्षात्कार आयोजित किए गए, लेकिन कोई चिकित्सक नहीं मिला है। इसी तरह से उदर रोग विभाग में भी कोई विशेषज्ञ नहीं है। न्यूरोलाजी विभाग में सिर्फ दो विशेषज्ञ हैं। उनमें एक संविदा पर हैं। एम्स को प्रारंभ हुए 10 साल का समय बीत चुका है, इसके बावजूद अस्पताल में र फैकल्टी के 30 प्रतिशत पद खाली हैं। चार बार की भर्ती प्रक्रिया के बावजूद कुल 305 पदों में 204 ही भर पाए हैं। फैकल्टी की कमी की वजह से मरीजों के इलाज में परेशानी तो हो ही रही है, स्नातकोत्तर और सुपरस्पेशियलिटी कोर्स की सीटें भी नहीं बढ़ पा रही हैं। ओपीडी, भर्ती, सर्जरी हर जगह मरीजों को इंतजार करना पड़ता है।एम्स के डाक्टरों ने बताया कि गैर सर्जरी सुपरस्पेशियलिटी विभाग जैसे न्यूरोलाजी, गैस्ट्रोएंट्रोलाजी, आंकोलाजी, किडनी रोग आदि में सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, अतिरिक्त प्राध्यापक और प्राध्यापक के एक-एक पद ही हैं। सर्जरी वाले सुपरस्पेशियलिटी विभाग जैसे गैस्ट्रो सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियक सर्जरी में सभी के दो-दो पद हैं। इस संबंध में एम्स के अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पद बढ़ाने की तैयारी चल रही है।एम्स में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही सीनियर रेसीडेंट (एसआर) और जूनियर रेसीडेंट (जेआर) के 50-50 पद बढ़ाए गए हैं। सभी पद भरने के बाद फायदा यह होगा कि ओपीडी, भर्ती और आपरेशन थियेटर में मरीजों के इलाज में सुविधा हो जाएगी। सभी छह पुराने एम्स में फैकल्टी के पद पद बढ़ाने का प्रस्ताव भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास विचाराधीन है। एम्स के निदेशक डा. नितिन नागरकर का कहना है कि संविदा पर भर्ती के लिए साक्षात्कार चल रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही इन विभागों में विशेषज्ञ आ जाएंगे। गामा कैमरा समेत सभी बड़ी सुविधाएं शुरू हो चुकी हैं।