इस साल मानसून सामान्य तारीख से एक दिन पहले ही केरल दस्तक दे सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, 31 मई को मानसून केरल पहुंचेगा। वैसे केरल में मानसून आने की सामान्य तारीख 1 जून है। मौसम विभाग ने बुधवार देर रात यह अनुमान जारी किया। घोषित तारीख में 4 दिन कम या ज्यादा होने की गुंजाइश रखी गई है। यानी मानसून 28 मई से 3 जून के बीच कभी भी आ सकता है।
मध्यप्रदेश में 20 जून के आसपास मानसून की एंट्री हो सकती है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 31 मई को केरल में मानसून के पहुंचने का अनुमान जताया है। साथ ही मध्यप्रदेश में यह 16 से 21 जून के बीच दस्तक दे सकता है। पिछली बार पूर्वी हिस्से यानी, अनूपपुर, मंडला, बालाघाट, सिवनी की तरफ से एंटर हुआ था। इस बार भी यही अनुमान है। इसी दौरान इसके भोपाल पहुंचने के आसार हैं। इससे दो दिन पहले इसके मप्र में दाखिल होने की संभावना है।
अबकी बार प्रदेश में अच्छी बारिश होने के भी संकेत है। मई में जून से सितंबर यानी चार महीने तक प्रदेश में 104 से 106 फीसदी तक बारिश होने का अनुमान जताया है। यह सामान्य से 4 से 6 फीसदी ज्यादा है। इससे पहले, साल 2023 में प्रदेश में 100% यानी, एवरेज 37 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी। इंदौर, उज्जैन समेत आधे एमपी में सामान्य से अधिक पानी गिरा था। मई के आखिरी सप्ताह में एक और वेदर रिपोर्ट आएगी। जिसमें बारिश की तस्वीर साफ हो जाएगी।
14 साल में 4 बार 20 जून के बाद मानसून की एंट्री
मध्यप्रदेश में मानसून की एंट्री की सामान्य तारीख 15 जून है। 2023 में 24 जून को प्रदेश में मानसून का प्रवेश हुआ था। इससे पहले साल 2017, 2018 और 2019 यानी लगातार 3 साल तक मानसून देरी से मध्यप्रदेश में पहुंचा था।
MP के इन जिलों में इतनी बारिश का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी मध्यप्रदेश के 4 संभाग- सागर, रीवा, जबलपुर और शहडोल में सामान्य से कम 98 से 99% बारिश होने का अनुमान है। वहीं, पश्चिमी मध्यप्रदेश के 6 संभाग- भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और चंबल में 101 से 102% या इससे अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान है। डॉ. सिंह ने बताया कि मानसून को लेकर मौजूदा परिस्थितियां काफी बेहतर है।
इसलिए अच्छी बारिश के संकेत
मौसम विभाग के अनुसार, वर्तमान में भू-मध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर अल नीनो की मध्यम (moderate) स्थिति बनी हुई है। नवीनतम मानसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्टिंग सिस्टम (MMCFS) के साथ अन्य जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून के शुरुआती भाग के दौरान अल नीनो की स्थिति और कमजोर होकर तटस्थ अल नीनो-साउदर्न ऑशिलेशन (ENSO) स्थितियों में परिवर्तित होने की संभावना है। इसके बाद मानसून के दूसरे भाग में ला नीना स्थितियां डेवलप होने की संभावना है।
.तो लगातार छठे साल सामान्य से ज्यादा बारिश
इस बार भी मानसून अगर अनुमान के मुताबिक रहा, तो लगातार छठे साल ऐसा होगा, जब सामान्य या इससे ज्यादा बारिश होगी। 10 साल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो 2019 में सबसे ज्यादा 53 इंच बारिश हुई थी। इसके बाद से ही प्रदेश में सामान्य या इससे अधिक बारिश हो रही है।
प्रदेश में 949 एमएम एवरेज बारिश
मध्यप्रदेश की सामान्य बारिश 949mm यानी, 37.3 इंच है। मानसूनी सीजन के दौरान (जून से सितंबर के बीच) इतनी बारिश होती है। पिछले साल की बात करें, तो प्रदेश में एवरेज 37.22 इंच बारिश हुई थी, जो सामान्य के बराबर ही थी। भोपाल समेत कई जिलों में तो सामान्य से अधिक बारिश हुई थी। इस कारण बाढ़ के हालात भी बन गए थे।